कर्बला में जिन नेक और अच्छे इंसानों ने सह़ी और कामयाब रास्ते को अपनाया और अपने ज़माने के इमाम के नेतृत्व में बुरे लोगों के मुक़ाबले, अपनी ख़ुशी के साथ जंग की और शहीद हुए ...
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाईयां स्वीकार कीजिए। वह एक रहस्यमय ...
वहाबी समुदाय का वैचारिक संस्थापक इब्ने तैमिया एकेश्वरवाद के संबंध में विभिन्न आस्था रखता है जो कभी तो मुसलमानों की आस्थाओं से भिन्न होती है और कभी विरोधाभास रखती है। ...
उम्मत की इमामत व रहबरी एक पाको पाकीज़ा व इलाही ओहदा है, यह ओहदा हर इंसान के लिए नही है। लिहाज़ा इमाम में ऐसी सिफ़तों का होना ज़रूरी है जो उसे अन्य लोगों से मुमताज़(श्रेष्ठ) ...
वहाबियत की आधारशिला रखने वाले इब्ने तैमिया ने अपने पूरे जीवन में बहुत सी किताबें लिखीं और अपनी आस्थाओं का अपनी रचनाओं में उल्लेख किया है। उन्होंने ऐसे अनेक फ़त्वे दिए जो ...
क़ुरआने करीम विभिन्न प्रकार से इंसान के जीवन को प्रभावित करता है।जैसे क़राअत, हिफ़्ज़, फ़ह्म और अमल के द्वारा यह प्रभाव इंसान के व्यक्तिगत और समाजिक दोनो जीवनों पर पड़ता ...
हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही वसल्लम को भी ग़दीर का उतना ही ख़्याल था जितना की अल्लाह को, और उस साल बहुत सारी क़ौमें और क़बीलें हज के सफ़र पर निकले ...
यह सवाल हर शख्स के ज़हन में आता है कि उमर बिन ख़त्ताब और उनके तरफ़दारों ने पैग़म्बरे अकरम (स) की तदबीर अमली होने में रुकावट क्यों पैदा की? क्या आँ हज़रत (स) ने रोज़े क़यामत तक ...
नाम व अलक़ाब (उपाधियां)
आपका नाम मुहम्मद व आपके अलक़ाब मुस्तफ़ा, अमीन, सादिक़,इत्यादि हैं।
माता पिता
हज़रत पैगम्बर के पिता का नाम अब्दुल्लाह था जो ;हज़रत अबदुल मुत्तलिब ...
सूरए आराफ़ की आयत संख्या 31 और 32 में ईश्वर कहता है। हे आदम की संतानो! हर मस्जिद के निकट (उपासना के समय) अपनी शोभा को धारण कर लो और खाओ पियो परंतु अपव्यय न करो कि ईश्वर अपव्यय ...
पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम की पैग़म्बरी की घोषणा की वर्षगांठ के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाईयां स्वीकार कीजिए।
वह एक रहस्यमय ...
मुस्लिम समाज विश्व का दूसरा सब से बड़ा धार्मिक समाज है जो डेढ़ अरब जनसंख्या के साथ विस्तृत हो रहा है। वर्तमान युग में और नये अंतर्राष्ट्रीय परिवर्तनों के दृष्टिगत, ...
हमारा अक़ीदह है कि पैग़म्बरे इस्लाम के असहाब में बहुत से लोग बड़े फ़िदाकार बुज़ुर्ग मर्तबा व बाशख़्सियत थे। क़ुरआने करीम व इस्लामी रिवायतों में उनकी फ़ज़ीलतो का ज़िक्र ...
पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की पैग़म्बरी की सार्वजनिक घोषणा के दस वर्ष बाद पैग़म्बरे इस्लाम स की पत्ती हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाहे अलैहा ने संसार से ...
इस्लाम धर्म में शिफ़ाअत ईश्वर की ओर से मनुष्यों पर एक विभूती बतायी गयी है। जिन लोगों ने उपासना के बंधन को नहीं तोड़ा है और अनेकेश्वरवाद का शिकार नहीं हुए हैं, ईश्वर के ...
बहुत से महापुरुष और वे लोग जिन्होंने इतिहास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है, उनकी सफलता के पीछे दो प्रकार की महिलाओं का बलिदान और त्याग रहा है। पहला गुट उन मोमिन और ...
मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब ने कई शताब्दियों के बाद इब्ने तय्मिया के भ्रष्ठ विचारों का प्रचार करना आरंभ कर दिया। इन्ने तयमिया के भ्रष्ठ, ग़लत और फूट डालने वाले विचारों को ...
पैगम्बर अकरम (स.) के असहाब के एक मशहूर गिरोह ने इस हदीस को पैगम्बर (स.) नक़्ल किया है।
“ अख़ा रसूलुल्लाहि (स.) बैना असहाबिहि फ़अख़ा बैना अबिबक्र व उमर व फ़ुलानुन व फ़ुलानुन फ़जआ ...
इस्लाम से पहले ,अबुसुफ़यान (यज़ीद का दादा) जिहालत की मान्यताओं, बुत परस्ती व शिर्क का सबसे बड़ा समर्थक था। जब पैग़म्बरे इस्लाम (स.) ने बुत परस्ती और समाज में फैली बुराईयों को ...
लोगों का मानना है कि इसी समय हज़रत अबू तालिब ने भी इस्लाम कुबूल कर लिया था लेकिन मक्के के हालात देखते हुए उन्होंने इसकी घोषणा करना मुनासिब नहीं समझा. जब यह चाल भी नाकाम हो ...