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Saturday 27th of April 2024
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फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं

फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं

बिन्ते रसूल ज़ोजाऐ हैदर बतूल हैं
 जै़नब हसन हुसैन की मादर बतूल हैं।


मरयम हों या हों सारा सभी को है रश्क यूँ
 सरदारे अम्बिया की जो दुख्तर बतूल हैं।


 नस्ले सुधारनी है तो इन का अमल करो
 दुनिया ए खवातीन की रहबर बतूल हैं।


ग्यारह मुहम्मदो का वजूद इन से ही तो है
 इल्मो अदबो नूर की पैकर बतूल हैं।


अग़ोश का असर था जो शब्बीर में दिखा
 इस हक़ पे मरने वाले की परवर बतूल हैं।


ताज़ीम को खडे़ यूँ हुआ करते हैं नबी
 हक़ को बचाने वाले की मादर बतूल हैं।


इनके अमल की ताबे हैं कुराँ की आयते
 दीने मुहम्मदी का मुक़द्दर बतूल हैं।


सिद्दीक़ो ताहिरा इन्हें कहता है ज़माना
 हक़ को है जिसपे नाज़ वो गौहर बतूल हैं।


उम्मे अबीहा राज़िया मरज़िया सय्यदा
"अहमद" फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं।

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जवाबे शिकवा
फज़ीलतो का समन्दर बतूल हैं
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सूरए माएदा की तफसीर
शब्बीर का पैग़ाम सुनाने न दिया।

 
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