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Friday 26th of April 2024
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पश्चाताप आदम और हव्वा की विरासत 5

पश्चाताप आदम और हव्वा की विरासत 5

पुस्तक का नामः पश्चाताप दया का आलंग्न

लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान

 

हम इस से पहले यह बात बताई कि सोच विचार, अक़ल और ध्यान, दृष्टि और जागरुकता, खेद तथा पश्चाताप के आँसू के उज्जवल पर्रावरण मे आदम और हव्वा ने इस प्रकार विनीत भाव एंव विनम्रता दिखाई किः (इग़फ़िर लना) हमे क्षमा कर दे नही कहा, बलकि उन्होने कहाः (वइन लम तग़फ़िर लना) यदि हमे क्षमा नही किया और हम पर कृपा नही की (लनकूनन्ना मिनल ख़ासेरीन) तो निसंदेह हम हानि उठाने वालो मे से हो जाएंगे। इस लेख मे आपको इस बात का अध्ययन करने को मिलेगा कि आदम ने अपने पालनहार से शब्दो को प्राप्त करने के बाद पश्चाताप किया और उनका इस प्रकार किया हुआ पश्चाताप स्वीकार ह्आ।

ध्यान तथा जागरूकता, खाकसारी और विनम्रता, खेद तथा अफ़सोस, रोना और पश्चाताप, घमंड से बाहर आकर आस्तिक होने के पश्चात उनकी ओर दया के द्वार खुल गए। महबूब की कृपा ने उनका स्वागत किया।

 

فَتَلَقَّى آدَمُ مِنْ رَبِّهِ كَلِمَات فَتَابَ عَلَيْهِ إِنَّهُ هُوَ التَّوَّابُ الرَّحِيمُ 

 

फ़तलक़्क़ा आदमो मिन रब्बेही कलेमातिन फ़ताबा अलैहे इन्नहू होवत्तव्वाबुर्रहीम[1]

आदम ने अपने पालनहार से शब्दो को प्राप्त किया, उसके बाद उनकी पश्चाताप को स्वीकार कर लिया गया, निसंदेह ईश्वर पश्चाताप को स्वीकारने वाला तथा दयालु है।

पालनहार का प्रकाश शब्दो मे प्रकट हुआ तथा उसको आदम के जीवन मे रास्ता मिला। इन तीन तत्थो – पालनहार का प्रकाश, शब्द तथा आदम का जीवन - की निरंतरता के साथ पश्चाताप का अहसास हुआ, ऐसी पश्चाताप के जो पापी के अतीत की क्षतिपूर्ति करे तथा भविष्य को उज्जवल बनाए।

हज़रत इमाम बाकिर (अलैहिस्सलाम) से रिवायत हुई है जिसके शब्द निम्नलिखित हैः

 

اَللّهُمَ لاَ إلهَ إلاَّ أنْتَ ، سُبْحَانَكَ وَبِحَمْدِكَ رَبِّ إنّى ظَلَمْتُ نَفْسِى ، فَاغْفِر لِى ، اِنَّكَ خَيْرُ الغَافِرِينَ ، اَللّهُمَّ لاَ إِلهَ إِلاَّ أنْتَ ، سُبْحانَكَ وَبِحَمْدِكَ ، رَبِّ اِنّى ظَلَمْتُ نَفْسِى ، فَارْحَمْنِى اِنَّكَ خَيْرُ الرّاحِمِينَ ، اَللّهُمَّ لاَ إِلهَ إِلاَّ أنْتَ ، سُبْحانَكَ وَبِحَمْدِكَ ، رَبِّ اِنّى ظَلَمْتُ نَفْسِى ، فَتُبْ عَلَىَّ اِنَّكَ أَنْتَ التَّوّابُ الرَّحِيمُ

 

अल्लाहुम्मा ला एलाहा इल्ला अनता, सुबहानका वबेहमदेका रब्बे इन्नि ज़लमतो नफ़सी, फ़ग़फ़िरली, इन्नका ख़ैरुल ग़ाफ़ेरीना, अल्लाहुम्मा ला एलाहा इल्ला अनता, सुबहानका वबेहमदेका रब्बे इन्नि ज़लमतो नफ़सी, फ़रहमनि इन्नका ख़ैरुर्राहेमीना, अल्लाहुम्मा ला एलाहा इल्ला अनता, सुबहानका वबेहमदेका रब्बे इन्नि ज़लमतो नफ़सी, फ़तुब अलय्या इन्नका अनतत्तव्वाबुर्राहेमीना[2]  

   

जारी



[1] सुरए बक़रा 2, छंद 37

[2] मजमउल बयान, भाग 1, पेज 112; बिहारुल अनवार, भाग 11, पेज 157, अध्याय 3

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