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Saturday 18th of May 2024
Kalam and Beliefs
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आसमानी किताबों के नज़ूल का फलसफा

आसमानी किताबों के नज़ूल का फलसफा
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह ने आलमे इंसानियत की हिदायत के लिए बहुत सी आसमानी किताबें भेजी जैसे सुहुफ़े इब्राहीम, सुहुफ़े नूह, तौरात, इँजील और इन में सबसे जामे क़ुरआने करीम ...

तफ़्सीर बिर्राय के ख़तरात

तफ़्सीर बिर्राय के ख़तरात
हमारा अक़ीदह है कि क़ुरआने करीम के लिए सब से ख़तरनाक काम अपनी राय के मुताबिक़ तफ़्सीर करना है।इस्लामी रिवायात में जहाँ इस काम को गुनाहे कबीरा से ताबीर किया गया है वहीँ यह ...

इल्में ग़ैब का ज्ञान, क़ुरआन की रौशनी में

इल्में ग़ैब का ज्ञान, क़ुरआन की रौशनी में
इल्में ग़ैब या अद्रश्य चीज़ों के सिलसिले में अगरचे ख़ुदा वंदे आलम ने बहुत सी आयतों में इल्में गैब के बारे में कहा है कि वह विशेष है ईश्वर से जैसा कि पवित्र क़ुरआने में इरशाद ...

अल्लाह का वुजूद

अल्लाह का वुजूद
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह इस पूरी कायनात का ख़ालिक़ है, सिर्फ़ हमारे वुजूद में,तमाम जानवरों में,नबातात में,आसमान के सितारों में,ऊपर की दुनिया में ही नही बल्कि हर जगह पर तमाम ...

इस्लाम धर्म की खूबी

इस्लाम धर्म की खूबी
इन्हीं विशेषताओं और अच्छार्इयों में से निम्नलिखित बातें हैंइस्लाम के नुसूस इस तत्व को बयान करने में स्पष्ट हैं कि अल्लाह के निकट धर्म केवल एक है और अल्लाह तआला ने नूह ...

दुआ-ऐ-मशलूल

दुआ-ऐ-मशलूल
सैय्यद इब्ने तावूस ने अपनी किताब मह्जूले-दावत में हज़रत इमाम हुसैन (अ:स) से रिवायत की है के आप फरमाते हैं की एक शब् मै अपने पदरे बुज़ुर्गवार आली मश्दार हज़रत अली इब्ने अबी ...

ज़ाते ख़ुदा की हक़ीक़त सबसे पौशीदा है

ज़ाते ख़ुदा की हक़ीक़त सबसे पौशीदा है
हमारा अक़ीदह है कि इसके बावुजूद कि यह दुनिया अल्लाह के वुजूद के आसार से भरी हुई है फ़िर भी उसकी ज़ात की हक़ीक़त किसी पर रौशन नही है और न ही कोई उसकी ज़ात की हक़ीक़त को समझ ...

तौहीद, तमाम इस्लामी तालीमात की रूहे है

तौहीद, तमाम इस्लामी तालीमात की रूहे है
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह की माअरफ़त के मसाइल में मुहिमतरीन मस्ला माअरफ़ते तौहीद है। तौहीद दर वाक़ेअ उसूले दीन में से एक अस्ल ही नही बल्कि तमाम अक़ाइदे इस्लामी की रूह है। ...

माद्दी व मअनवी जज़ा

माद्दी व मअनवी जज़ा
माद्दी व मअनवी जज़ा हमारा अक़ीदह है कि क़ियामत में मिलने वाली जज़ा में माद्दी और मानवी दोनों पहलु पाये जाते है,और वह इस लिए कि मआद भी रूहानी और जिस्मानी है। क़ुरआने करीम की ...

दीन क्या है?

दीन क्या है?
दीन अरबी शब्द है जिस का मतलब आज्ञापालन, परोतोषिक आदि बताया गया है लेकिन दीन या दीन की परिभाषा होती है इस सृष्टि के रचयता और उसके आदेशों पर विश्वास व उस के प्रति आस्था रखना इस ...

सूर –ए- तौबा की तफसीर 2

सूर –ए- तौबा की तफसीर 2
ताएफ़ नगर के निकट एक क्षेत्र है जहां हुनैन नाम का युद्ध हुआ।  ताएफ़वासी विशेषकर दो कबीलों एक “हवाज़न” और दूसरे “सक़ीफ़” के नाम से प्रसिद्ध थे। इस्लामी सेना ने जब ...

क़यामत पर आस्था का महत्व

क़यामत पर आस्था का महत्व
कार्यक्रम सृष्टि ईश्वर और धर्म को हमने सृष्टि पर चर्चा से आरंभ किया था जिसके दौरान हमने विभिन्न ईश्वरीय गुणों तथा उसके दूतों और उनके लाए हुए धर्म परचर्चा की और यह बताया कि ...

उलूमे क़ुरआन का इतिहास

उलूमे क़ुरआन का इतिहास
मानवता के इतिहास में कोई ऐसी किताब नही मिलती जिसकी रक्षा और व्याख्या के लिए क़ुरआन के समान अत्याधिक प्रबन्ध किये गये होँ। क़ुरआन और उलूमे क़ुरआन के परिचय के लिए इस्लाम के ...

क़ुरआने मजीद और अख़लाक़ी तरबीयत

क़ुरआने मजीद और अख़लाक़ी तरबीयत
अख़लाक़ उन सिफ़ात और अफ़आल को कहा जाता है जो इंसान की ज़िन्दगी में इस क़दर रच बस जाते हैं कि ग़ैर इरादी तौर पर भी ज़हूर पज़ीर होने लगते हैं।बहादुर फ़ितरी तौर पर मैदान की ...

दर्द नाक हादसों का फ़लसफ़ा

दर्द नाक हादसों का फ़लसफ़ा
हमारा अक़ीदह है कि वह दर्दनाक हादसे जो इस दुनिया में वाक़े होते हैं (जैसे ज़लज़ला, आसमानी या ज़मीनी बलाऐं वग़ैरह) वह कभी अल्लाह की तरफ़ से सज़ा के तौर पर होते हैं जैसे जनाबे ...

सिरात व मिज़ान

सिरात व मिज़ान
हम क़ियामत में “सिरात”व “मिज़ान” के वुजूद के क़ाइल हैं। सिरात वह पुल है जो जहन्नम के ऊपर बनाया गया है और सब लोग उस के ऊपर से उबूर करें गे। हाँ जन्नत का रास्ता जहन्नम के ऊपर से ...

बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल

बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल
वाज़ेह हो कि ज़िलहिज का महीना एक बाअज़मत महीना है, जब इस महीने का चांद नजर आता तो अक्सर सहाबा (रज़ी) व ताबेईन इबादात मे खास अहतेमाम करते थे क़ुराने करीम में इसके पहले दस दिनों ...

क़ानूनी ख़ला का वुजूद नही है

क़ानूनी ख़ला का वुजूद नही है
हमारा अक़ीदह है कि इस्लाम में किसी तरह का कोई क़ानूनी ख़ला नही पाया जाता। यानी क़ियामत तक इंसान को पेश आने वाले तमाम अहकाम इस्लाम में बयान हो चुके हैं। यह अहकाम कभी मख़सूस ...

शिया मुफ़स्सेरीन और उनके मुख़्तलिफ़ तबक़ात का तरीक़ ए कार

शिया मुफ़स्सेरीन और उनके मुख़्तलिफ़ तबक़ात का तरीक़ ए कार
जिन गिरोहों के मुतअल्लिक़ पहले ज़िक्र किया गया है कि वह अहले सुन्नत के तबक़ात के मुफ़स्सेरीन से ताअल्लुक़ रखते हैं और उन का तरीक़ ए कार एक ख़ास रविश पर मबनी है जो शुरु से ही ...

आलमे बरज़ख

आलमे बरज़ख
हमारा अक़ीदह है कि इस दुनिया और आख़ेरत के बीच एक और जहान है जिसे “बरज़ख़” कहते हैं।मरने के बाद हर इँसान की रूह क़ियामत तक इसी आलमे बरज़ख़ में रहती है।“व मिन वराइहिम ...