इन्हीं विशेषताओं और अच्छार्इयों में से निम्नलिखित बातें हैंइस्लाम के नुसूस इस तत्व को बयान करने में स्पष्ट हैं कि अल्लाह के निकट धर्म केवल एक है और अल्लाह तआला ने नूह ...
हमारा अक़ीदा है कि क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम (स.) का सब से बड़ा मोजज़ा है और यह फ़क़त फ़साहत व बलाग़त, शीरीन बयान और मअनी के रसा होने के एतबार से ही नही बल्कि और ...
सदाचारः
पैग़म्बरे अकरम (सा) की वाणी अनतं जीवन के लिए जीवित व ज़िन्दा है। (انما بعثت لاتمم مکارم الاخلاق)
यक़ीनन मैं मबऊस हूआ हुँ ताकि नेक व शिष्टाचार-चरित्र को सम्पूर्ण करुँ, रसूल (सा) ...
अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली अलैहिस्सलाम की बिला फ़स्ल इमामत (अर्थात रसूले इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलिही वसल्लम के बाद, बिना किसी फ़ासले के आपको पहले नम्बर पर उनका ...
कामों में दूसरों से मशवरा करो।
समाजी तरक़्क़ी का एक पहलू मशवरा करना है। मशवरा यानी मिलकर फ़िक्र करना। इसमें कोई शक नही है कि जो लोग मशवरा करते हैं, उनमें अक़्ल व फ़िक्र ...
1. इंसान ने अपनी ज़िन्दगी में जो कि सिर्फ़ दुनियावी और आरेज़ी ज़िन्दगी है, अपनी हयात का ख़ैमा एक बुलबुले की तरह माद्दे (material) से उसका हमेशा वास्ता है।उसके अँदरुनी और बेरुनी ...
इस सूरे में 286 आयते हैं और पवित्र क़ुरआन के तीस भागों में से दो से ज़्यादा भाग इसी सूरे से विशेष हैं। पवित्र क़ुरआन के उतरने वाले सूरों के क्रमांक की दृष्टि यह 86वें नंबर पर ...
सैय्यद इब्ने तावूस ने अपनी किताब मह्जूले-दावत में हज़रत इमाम हुसैन (अ:स) से रिवायत की है के आप फरमाते हैं की एक शब् मै अपने पदरे बुज़ुर्गवार आली मश्दार हज़रत अली इब्ने अबी ...
पैग़म्बरों, ईश्वरीय दूतों और महान हस्तियों की क़ब्रों पर मज़ार एवं मस्जिद का निर्माण वह कार्य है जिसके बारे में वहाबी कहते हैं कि यह चीज़ धर्म में नहीं है और इसके संबंध ...
इस में कोई शक नही है कि सदाचार हर समय में महत्वपूर्ण रहा हैं। परन्तु वर्तमान समय में इसका महत्व कुछ अधिक ही बढ़ गया है। क्योँकि वर्तमान समय में इंसान को भटकाने और बिगाड़ने ...
इमाम महदी अलैहिस्सलाम के ज़ुहूर से पहले बहुत सी निशानियां ज़ाहिर होंगी। जब आपका ज़ुहूर होगा तो पूरब व पश्चिम पर आपकी हुकूमत होगी। ज़मीन अपने सारे ख़ज़ाने उगल देगी। ...
भटकी हुई हयात के रहबर हुसैन हैंसेहरा हैं करबला तो समन्दर हुसैन हैंखुशबू पयामे हक की हैं सारे जहान मेंगुलज़ार-ए-मुस्तफा के गुल-ए-तर हुसैन हैंइश्क-ए-हुसैन से मेरी उक़बा संवर ...
हमारा अक़ीदह है कि क़ियामत के दिन पैग़म्बर,आइम्मा-ए-मासूमीन और औलिया अल्लाह अल्लाह के इज़्न से कुछ गुनाहगारों की शफ़ाअत करें गे और वह अल्लाह की माफ़ी के मुस्तहक़ क़रार ...
पैग़म्बरो का अल्लाह का बन्दा होना इस बात की नफ़ी नही करता कि वह अल्लाह के हुक्म से हाल, ग़ुज़िश्ता और आइन्दा के पौशीदा अमूर से वाक़िफ़ न हो। “आलिमु अलग़ैबि फ़ला युज़हिरु ...
हमारा अक़ीदह है कि अगर कभी इंसान ऐसे मुतस्सिब लोगों के दरमियान फँस जाये जिन के सामने अपने अक़ीदेह को बयान करना जान के लिए खतरे का सबब हो तो ऐसी हालत में मोमिन की ज़िम्मेदारी ...
हमारा अक़ीदह है कि मरने के बाद एक दिन तमाम इंसान ज़िन्दा होगें और आमाल के हिसाब किताब के बाद नेक लोगों को जन्नत में व गुनाहगारों को दोज़ख़ में भेज दिया जायेगा और वह हमेशा ...
हमारा अक़ीदह है कि अल्लाह की ज़ाते पाक हर ऐब व नक़्स से पाक व मुनज़्ज़ह और तमाम कमालात से आरास्ता,बल्कि कमाले मुतलक़ व मुतलक़े कमाल है दूसरे अलफ़ाज़ में यह कहा जा सकता है कि ...
इल्में ग़ैब या अद्रश्य चीज़ों के सिलसिले में अगरचे ख़ुदा वंदे आलम ने बहुत सी आयतों में इल्में गैब के बारे में कहा है कि वह विशेष है ईश्वर से जैसा कि पवित्र क़ुरआने में इरशाद ...
क़ुरआने करीम की तिलावत अफ़ज़ल तरीन इबादतों में से एक है और बहुत कम इबादते ऐसी हैं जो इसके पाये को पहुँचती हैं। क्यों कि यह इल्हाम बख़्श तिलावत क़ुरआने करीम में ग़ौर व ...
दुनिया में दो तरीक़े के अच्छे अखलाक़ पाये जाते हैं
रियाकाराना अखलाक़ (दुनियावी फ़ायदे हासिल करने के लिए)
मुख़लेसाना अखलाक़ (जो दिल की गहराईयों से होता है)
पहली क़िस्म ...