अपने पाँच वर्षीय शासन काल मे विभिन्न युद्धों, विद्रोहों, षड़यन्त्रों, कठिनाईयों व समाज मे फैली विमुख्ताओं का सामना करते हुए हज़रतअली ने तीन क्षेत्रो मे सुधार किये जो ...
दुनिया के विभिन्न देशों में ख़ास कर भारत, पाकिस्तान और ईरान में बहुत उत्साह के साथ रसूले इस्लाम स.अ. के नवासे हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के जन्मदिवस का जश्न मनाया जा रहा ...
पवित्र क़ुरआन के सूरै अहज़ाब की ३३वीं आयत में महान ईश्वर कहता है” बेशक ईश्वर ने आप अहलबैत को हर प्रकार की गन्दगी व पाप से उस तरह से दूर रखने का इरादा किया है जिस तरह से दूर ...
पंद्रह रजब, पैग़म्बरे इसलाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम की नवासी और हज़रत अली व फ़ातेमा अलैहिमस्सलाम की सुपुत्री हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा के ...
शहज़ादी फ़ातिमा ज़हरा जब क़यामत के मैदान महशर में आऐंगी, तो ऐक आवाज़ आऐगी ऐ अहले महशर अपनी नज़रें झुका लो मेरी कनीज़े ख़ास की सवारी आ रही है. उस वक्त शान यह होगी कि पैगंबर(अ) ...
(1) इमाम अली रज़ा (अ.स) की शहादत के बाद मुखतलिफ शहरो से 80 ओलामा और दानिशमंद हज करने के लिये मक्का रवाना हुए। वो सफर के दौरान मदीना भी गए , ताकि इमाम मौहम्मद तक़ी (अ.स) की ज़ियारत भी ...
क़ुराने मजीद के 15वें सूरे ‘हिज्र’ है। इस सूरे में 99 आयतें हैं। यह हिजरत से पूर्व मक्के में नाज़िल हुआ था।
इस सूरे का नाम आयत क्रमाक 80 में असहाबे हिज्र अर्थात हज़रत सालेह की ...
मुसलमान, मुसलमान का भाई है, उससे बेइमानी नहीं करता, उससे झूठ नहीं बोलता और उसे अकेला नहीं छोड़ता।
पैग़म्बरे इस्लाम की नज़र में मुसलमान कौन है
मुसलमान वह है जिसकी ज़बान और ...
नाम व अलक़ाब (उपाधियाँ) : अल-मुज्तबा, अबू मोहम्मद (1)
माता पिता : हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम तथा आपकी माता हज़रत फ़ातिमा ज़हरा थीं। आप ...
मैंने अपने असहाब से आलम और बेहतर किसी के असहाब को नही पाया।
हमारी दीनी तालीमात का पहला स्रोत क़ुरआने मजीद है। क़ुरआन के बाद हम जिन रिवायात का तज़किरा करते हैं वह दो तरह की ...
हमारा अक़ीदह है कि इस दुनिया और आख़ेरत के बीच एक और जहान है जिसे “बरज़ख़” कहते हैं।मरने के बाद हर इँसान की रूह क़ियामत तक इसी आलमे बरज़ख़ में रहती है।“व मिन वराइहिम ...
सर्वसमर्थ व महान ईश्वर से निकट होने का एक मार्ग पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम और उनके पवित्र परिजनों से प्रेम है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व ...
एक दिन इमाम हसन (अ) घोड़े पर सवार कहीं जा रहे थे कि शाम अर्थात मौजूदा सीरिया का रहने वाला एक इंसान रास्ते में मिला। उस आदमी ने इमाम हसन को बुरा भला कहा और गाली देना शुरू कर ...
फातेमा बिन्ते असद का आज दिलबर आ गयामोमिनो खुशियॉ मनाओ अपना रहबर आ गया इन्नमा की ले के मोहरे इस्मते परवरदिगारमुत्तलिब का पोता और ज़हरा का शौहर आ गया अज़दहे को चीरने, ...
इमाम रज़ा अ.स. को शहीद करने के बाद मामून चाहता था कि किसी तरह से इमाम तक़ी अ.स. पर भी नज़र रखे और इस काम के लिये उसने अपनी बेटी उम्मे फ़ज़्ल का निकाह इमाम तक़ी से करना चाहा।इस बात पर ...
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की इमामत वाला जीवन बीस साल का था जिसको हम तीन भागों में बांट सकते हैं।1. पहले दस साल हारून के ज़माने में2. दूसरे पाँच साल अमीन की ख़िलाफ़त के ज़माने में3. ...
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का परिचय नाम व अलक़ाब हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का नाम हज़रत पैगम्बर(स.) के नाम पर है। तथा आपकी मुख्य़ उपाधियाँ महदी मऊद, इमामे अस्र, ...
पुराने समय की बात है। एक माली रहता था जो सुगंधित व सुदंर फ़ुलवाड़ियों व क्यारियों की बहुत अच्छे ढंग से देखभाल करता था। वृद्ध होने के बावजूद वह प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व ...
दुनिया के दिन, दो दिन हैं एक तुम्हारे हित में और दूसरा तुम्हारे अहित में , तो अगर वह तुम्हारे फ़ायदे में हो तो उदंडता न करो और अगर तुम्हारे नुकसान में हो तो क्षुब्धु व ...
जिस दिन इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम शहीद होने वाले थे उस दिन उन्होंने सुबह की नमाज़ नए वस्त्र पहन कर पढ़ी और उसी स्थान पर बैठे रहे मानो उन्हे किसी अप्रिय घटना के होने का आभास हो ...