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Thursday 18th of April 2024
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क़ुरआने करीम हर दर्द की दवा है

क़ुरआने करीम हर दर्द की दवा है



इमाम अली तमाम मुशकिलात के हल के लिये क़ुरआने करीम का तआरुफ़ फ़रमाते हैं। क़ुरआन ही वह शफ़ा बख़्श दवा है जो तमाम दर्दों का दरमान और परेशानियों के लिये मरहम है। अलबत्ता यह वाज़ेह है कि दर्द की शिनाख्त और अहसास के बग़ैर इलाज या दरमान की बात करना बे फ़ाएदा है। पस इब्तेदाई तौर पर ज़रूरी है कि क़ुरआने करीम की आयात में गहरे ग़ौरो फ़िक्र के साथ इन्फ़ेरादी तौर और मआशिरती दर्दों की शिनाख़्त और मुतालेआ किया जाए इस के बाद इस शिफ़ा बख़्श नुस्खे कीमीया पर अमल किया जाए।

ख़ुत्बा 198 में फ़रमाते हैं:“व दवाओ लेसा बादहू दा”

यअनी क़ुरआने मजीद ऐसी दवा है कि जिस के बाद कोई दर्द रह नहीं जाता यह दवा भी यक़ीनन उस वक्त अपना असर दिखाएगी जब हज़रत (अ.स.) के इस फ़रमान और क़ुरआने हकीम के शफ़ा बख़्श होने पर ईमान हो बाअल्फ़ाज़े दीगर हमे अपने पूरे वुजूद के साथ बावर करना चाहिये कि हमारा तमाम तर इन्फ़िरादी व इज्तेमाई दर्दों और मुश्किलात का हक़ीक़ी इलाज क़ुरआने हकीम में है। शायद हमारे मआशरे की सब से बड़ी मुशकिल यही ईमान की कमज़ोरी है कि अभी तक बहुत सारी मुश्किलात बाक़ी हैं।

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