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Friday 29th of March 2024
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सोलहवां आल इंडिया जश्ने हज़रते अब्बास

सोलहवां आल इंडिया जश्ने हज़रते अब्बास

अंजुमन के अध्यक्ष शाहिद रिज़वी , कन्वेनर कशिश संडीलवी , क़मर इमाम व मीडिया प्रभारी सरवर अली रिज़वी ने शासन प्रशासन की सराहना करते हुए सभी आये हुए मेहमानों का भी शुक्रिया अदा किया।

अहलेबैत (अ )न्यूज़ एजेंसी अबना : प्राप्त सूत्रों के अनुसार सोलहवां आल इंडिया जश्ने हज़रते अब्बास अलै अंजुमन गुन्चये अब्बासिया बाराबंकी के नेतृत्व में कर्बला सिविल लाइन में आयोजित जश्न के मुख्य अतिथि मौलाना मेराज हैदर खान रहे , विशिष्ट अतिथि आली जनाब मौलाना जाबिर जौरासी थे । अध्यक्षता अमीर हैदर एडवोकेट ने की। जश्न का आरंभ हदीसे किसा व कलाम पाक की तिलावत से मौलाना अयाज़ आलमपुरी ने किया। कुशल संचालन दिल्ली से आये अर्शी वास्ती ने किया। मक़ामी व बैरूनी नायाब इंटरनेशनल शायरो ने अपने कलाम पेश किये। जश्न सुबह 6 बजे तक चलता रहा। "दीनी व समाजी सेवा हेतु मौलाना जाबिर जौरासी व मौलाना सय्यद मोहम्मद रज़ा ज़ैदपुरी को सम्मानित किया गया"इसके अलावा क़ौम के मेधावी छात्र छात्राओ का भी सम्मान हुआ। आजमगढ़ से आये आली जनाब मौलाना मेराज हैदर खान साहब ने कहा अब्बास अहले बसीरत का नाम है। ईसार , वफादारी,शुजाअत व सब्र का एक मुक़म्मल गुलदस्ता अब्बास है। शुजाअत का ताअल्लुक़ जोश से नहीं होश से होता है।
आलिजनाब जाबिर जौरासी ने कहा जो बात बात पर भड़कते हैं वो इंसान नहीं, इंसान अपने नफ़्स पर क़ाबू रखता है। नस्र के बाद नज़्म का सिलसिला आरम्भ हुआ । शहज़ादा गुलरेज़ ने पढ़ा " कब्ज़े में नहर थी मगर ऐसा नहीं किया, शफ्फाक तरंगो तुझे मैला नहीं किया"। नायाब हल्लौरी ने पढ़ा " अपने महवर से टल नहीं सकते, हम हुसैनी बदल नहीं सकते।" सहर अर्शी जौनपुरी ने पढ़ा "इश्के ग़में हुसैन रहे ज़िंदगी रहे, ये ग़म न हो तो नस्ल भी ये आख़िरी रहे।" शहंशाह बिजनौरी ने पढ़ा " दो चचाओ की वजह से सुरखुरु हुआ इस्लाम, एक चचा मोहम्मद का एक चचा सकीना का।" एरम बनारसी ने पढ़ा " सितम का तीर थर्राता है खंजर काँप जाता है, बहत्तर लोग से लाखों का लश्कर काँप जाता है।" फ़रमान जंगीपुरी ने पढ़ा "खुद बखुद होने लगी हम्दो सना अब्बास की,खोलकर क़ुरआन को जिस वक़्त मैं पढ़ने लगा।" बेताब हल्लौरी ने पढ़ा "भारत पे फ़िदा होने का अरमान है दिल में, हम लोग अज़ादार हैं ग़द्दार नहीं हैं।" डॉ इफ़हाम उतरौलवी ने पढ़ा " जब फैलने लगा ख़ते शमशीर का जलाल, साया भी जिस जगह था वहीँ पर ठहर गया।" शबरोज़ कानपुरी ने पढ़ा " मौजूद है हुसैन वहां पर ख़ुदा के साथ , जिस घर में जनमाज़ है फर्श ए अज़ा के साथ।" सक़लैंन अजमेरी ने पढ़ा "अहमद ने कहा सुन ले जहाँ बड़े मोहम्मद, सब छोटे हैं दुनिया में अली सबसे बड़ा है।" जावेद गोपालपुरी ने पढ़ा " ज़माने भर में भटकते रहो न पाओगे , जिनाँ का रास्ता फर्श ए अज़ा से मिलता है।" इसके अलावा कशिश संडीलवी , शकील संडीलवी , अजमल किन्तूरी, कलीम आज़र बाक़र नक़वी, मुज़फ्फर इमाम,अली अब्बास , व मोहसिन सल्लमहु ने भी नज़रानए अक़ीदत पेश किये। अंजुमन के अध्यक्ष शाहिद रिज़वी , कन्वेनर कशिश संडीलवी , क़मर इमाम व मीडिया प्रभारी सरवर अली रिज़वी ने शासन प्रशासन की सराहना करते हुए सभी आये हुए मेहमानों का भी शुक्रिया अदा किया।

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