Hindi
Friday 19th of April 2024
0
نفر 0

बधाई की पात्र फ़ातिमा बतूल

बधाई की पात्र फ़ातिमा बतूल

फातिमा बतूल ने एक बात अच्छे से साबित की कि धार्मिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा दोनों को हासिल करने के लिए किसी एक को छोड़ने की ज़रुरत नहीं है बल्कि दोनों के दूसरे के पूरक हैं।

अहलेबैत (अ )न्यूज़ एजेंसी अबनाः लखनऊ,  प्राप्त सूत्रों के अनुसार आज आये आई सी एस ई के नतीजों में उत्तरप्रदेश के छात्र छात्रओं का बेहतरीन प्रदर्शन सामने आया।  आज 12 वीं के परिणाम में अल्पसंख्यक छात्र एवं छात्राओं का भी बेहतरीन परिणाम आया।
राजधानी लखनऊ के हुसैनाबाद स्थित यूनिटी कॉलेज का परिणाम वैसे तो 100 % रहा लेकिन यहां की छात्रा फातिमा बतूल ने 98 % नमबर हासिल कर सिर्फ कॉलेज का ही नहीं बल्कि अपने परिवार का नाम रौशन किया है।  फ़ातिमा बतूल को मुबारकबाद देने अस्पताल से डॉ कल्बे सादिक़ खुद कॉलेज पहुंचे और फातिमा के साथ उनके वालिद मौलाना मंज़र सादिक़ का सम्मान किया।
फ़ातिमा बतूल की माँ और वालिद धार्मिक शिक्षा से जुड़े हुए हैं लेकिन समाजी और आधुनिक शिक्षा में इनकी दिलचस्पी शुरू से ही रही।  मौलाना मंज़र सादिक़ बच्चों के लिए एक मासिक पत्रिका भी निकालते हैं जिसमे सिर्फ धार्मिक बातीं ही नहीं बल्कि आधुनिक शिक्षा के साथ धार्मिक शिक्षाओं का तालमेल और जीवम व्यतीत करने के तरीके और कामयाबी पर ख़ास फोकस होता है।  जहां आज कल मुस्लिम बालिकाओं की शिक्षा को लेकर युद्ध जैसे हालत हैं वहीँ फातिमा बतूल हों या उनके भाई महज़ियार दोनों ने अपने छात्र जीवन में कामयाबी के परचम बुलन्द किये हैं।  आज भी 10 वीं के परिणाम में फातिमा के छोटे भाई सामिन रज़ा ने 95 % नंबर हासिल किया है
फातिमा बतूल की माँ शहर बानो बाक़री भी मदरसा जामियतुज़्ज़हरा में शिक्षिका हैं उनहोंने भी हमेशा बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ ही आधुनिक शिक्षा पर ज़ोर दिया जिस तरह मौलाना मंज़र सादिक़ ने धार्मिक शिक्षा हासिल कर इसको अपना ज़रिए मआश  नहीं बनाया वैसे ही उन्होने बच्चों को भी शिक्षा दी।  धार्मिक शिक्षा में भी फातिमा बतूल हमेशा फ़र्स्ट आयी कोई भी कम्पटीशन हो वह हमेशा फातिमा बतूल ने कामयाबी हासिल की।  फ़ारसी में तक़रीर हो या उर्दू अंग्रेजी में निज़ामत सभी में आगे रहने वाली फातिमा बतूल ने विदेशों से आये हुए मेहमानों को भी अपनी क़ाबलियत का लोहा मनवाया।  आज उनकी कामयाबी पर उनको और उनके परिवार वालों को मुबारकबाद का सिलसिला जारी है लेकिन यह उनकी कामयाबी आने वाले वक़्त में और आला सतह पर परचम बलन्द करने की अलामत है। शुरू से लेकर आज तक फातिमा बतूल ने एक बात अच्छे से साबित की कि धार्मिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा दोनों को हासिल करने के लिए किसी एक को छोड़ने की ज़रुरत नहीं है बल्कि दोनों के दूसरे के पूरक हैं।  आम तौर पर देखा यह जाता है कि धार्मिक शिक्षा वाले आधुनिक शिक्षा और आधुनिक शिक्षा वाले धार्मिक शिक्षा को अलविदा कह देते हैं लेकिन फातिमा ने दोनों शिक्षाओं में हमेशा कामयाबी हासिल की और क़दम आगे बढ़ाए रखा।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

नाइजीरिया में सेना द्वारा ...
मुसलमानों में आक्रोशः ...
चीन का सैन्य बजट बढ़ा, पड़ोसी देश ...
श्रीलंका में होटलों और गिरजाघरों ...
इल्म
शेख़ ईसा क़ासिम ऑप्रेशन के बाद घर ...
भारतीय सीईओ पर ट्रंप समर्थकों ...
लंदन की मस्जिद में नमाज़ियों पर ...
दिल्ली में बहरैन सरकार के अपराधों ...
हैदराबाद में इंटरनेशनल मुस्लिम ...

 
user comment