Hindi
Friday 19th of April 2024
0
نفر 0

फरिश्तो की क़िस्में

फरिश्तो की क़िस्में

1. हामेलाने अर्श - यह वह फ़रिश्ते हैं जो अर्शे इलाही को उठाए हुए हैं चुनांचे उनके मुताल्लिक़ इरशादे इलाही है - ‘‘अल्लज़ीना ............. बेहम्बे रब्बेहिम’’ (जो फ़रिश्ते अर्श को उठाए हुए हैं और जो उसके गिर्दागिर्द हैं, अपने परवरदिगार की तारीफ़ के साथ तस्बीह करते हैं।’’
2. मलाएकाए हजबः इससे मुराद वह फ़रिश्ते हैं जो इस आलमे अनवार व तजल्लियात से ताल्लुक़ रखते हैं जिसके गिर्द सरादक़ जलाल व हिजाबे अज़मत के पहले हैं और इन्सानी इल्म व इदराक से बालातर हैं।
3. मलाएकाए समावात- इससे मुराद वह फ़रिश्ते हैं जो तबक़ाते आसमानी में पाए जाते हैं, चुनान्चे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘व अना.......... शदीद......’’ (हमने आसमानों को टटोला तो उसे क़वी निगहबानों से भरा हुआ पाया।)
4. मलाएकाए रूहानेयीन- इससे मुराद वह फ़रिश्ते हैं जो आसमाने हफ़्तुम में हज़ीरतुल क़ुद्स के अन्दर मुक़ीम हैं और शबे क़द्र में ज़मीन पर उतरते हैं, चुनान्चे इरशादे इलाही है- ‘‘तनज़्ज़लुल मलाएकतो............. कुल्ले अम्र’’ (इस रात फ़रिश्ते और रूह (अल क़ुद्स) हर बात का हुक्म लेकर अपने परवरदिगार की इजाज़त से उतरते हैं)
5. मलाएकाए मुक़र्रेबीन- यह वह फ़रिश्ते हैं जिन्हें बारगाहे इलाही में ख़ास तक़र्रूब हासिल है और उन्हें कर्रोबय्यन से भी याद किया जाता है जो कर्ब मबनी क़र्ब से माख़ोज है। इनके मुताल्लिक़ इरशादे क़ुदरत है - ‘‘लन यसतनकफ़................. मलाएकतल मुक़र्रबून’’ (मसीह अ0 को इसमें आर नहीं के वह अल्लाह का बन्दा हो और न उसके मुक़र्रब फ़रिश्तों को)
6. मलाएकाए रस्ल - यह वह फ़रिश्ते हैं जो पैग़ाम्बरी का काम अन्जाम देने पर मामूर हैं- चुनान्चे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘अल्हम्दो लिल्लाह.................. मलाएकतेरसला’’ (सब तारीफ़ उस अल्लाह के लिये जो आसमान व ज़मीन का बनाने वाला और फ़रिश्तों को अपना क़ासिद बनाकर भेजने वाला है’’
7. मलाएकए मुदब्बेरात - यह वह फ़रिश्ते हैं जो अनासिरे बसीत व एहसामे मुरक्कबा जैसे पानी, हवा, बर्क़, बादो बाराँ, रअद और जमादात व नबातात व हैवान पर मुक़र्रर हैं। चुनान्चे क़ुरआन मजीद में है ‘‘ फलमुदब्बेराते अमरन’’ (उन फ़रिश्तों की क़सम जो उमूरे आलम के इन्तेज़ाम में लगे हुए हैं) फिर इरशाद है- ‘‘वज़्ज़ाजेराते ज़जरन’’ (झिड़क कर डाँटने वालों की क़सम)। इब्ने अब्बास का क़ौल है के इससे वह फ़रिश्ते मुराद हैं जो बादलों पर मुक़र्रर हैं।
8. मलाएकाए हिफ़्ज़ा - यह वह फ़रिश्ते हैं जो अफ़रादे इन्सानी की हिफ़ाज़त पर मामूर हैं, चुनान्चे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘लह ...............अम्रिल्लाह’’ (इसके लिये इसके आगे और पीछे हिफ़ाज़त करने वाले फ़रिश्ते मुक़र्रर हैं जो ख़ुदा के हुक्म से उसकी हिफ़ाज़त व निगरानी करते हैं)
9. मलाएकए कातेबीन- वह फ़रिश्ते जो बन्दों के आमाल ज़ब्ते तहरीर में लाते हैं। चुनान्चे क़ुदरत का इरशाद है (जब वह कोई काम करता है तो दो लिखने वाले जो उसके दाएं, बाएं हैं लिख लेते हैं और वह कोई बात नहीं कहता मगर एक निगराँ उसके पास तैयार रहता है)
10. मलाएकए मौत- वह फ़रिश्ते जो मौत का पैग़ाम लाते और रूह को क़ब्ज़ करते हैं, चुनान्चे इरशादे इलाही है -( उन फ़रिश्तों की क़सम जो ढूब कर इन्तेहाई शिद्दत से काफ़िरों की की रूह खींच लेते हैं, और उनकी क़सम जो बड़ी आसानी से मोमिनों की रूह क़ब्ज़ करते हैं’’)
11. मलाएकाए ताएफ़ीन - वह फ़रिश्ते जो अर्श और अर्श के नीचे बैतुल मामूर का तवाफ़ करते रहते हैं चुनान्चे क़ुदरत का इरशाद है ‘‘वतरी..... अर्श’’ (तुम अर्श के गिर्दागिर्द फ़रिश्तों को घेरा डाले हुए देखोगे)
12. मलाएकाए हश्र- वह फ़रिश्ते जो मैदाने हश्र में इन्सानों को लाएंगे और उनके आमाल व अफ़आल की गवाही देंगे, चुनांचे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘वजाअत ................ शहीद’’ (और हर शख़्स हमारे पास आएगा और इसके साथ एक फ़रिश्ता हंकाने वाला और एक आमाल की शहादत देने वाला होगा)
13. मलाएकाए जहन्नुम -वह फ़रिश्ते जो दोज़ख़ की पासबानी पर मुक़र्रर हैं चुनांचे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘ अलैहा.................शद्ाद’’ (जहन्नुम पर वह फ़रिश्ते मुक़र्रर हैं जो तन्द ख़ू और तेज़ मिज़ाज हैं)
14. मलाएकाए बहिश्त- वह फ़रिश्ते जो जन्नत के दरवाज़ों पर मुक़र्रर हैं, चुनांचे क़ुदरत का इरशाद है - ‘‘हत्ता................................ ख़ालेदीन’’ (यहाँ तक के ज बवह जन्नत के पास पहुंचेंगे और उसके दरवाज़े खोल दिये जाएंगे और उसके निगेहबान उनसे कहेंगे सलाम अलैकुम तुम ख़ैर व ख़ूबी से रहे लेहाज़ा बहिश्त में हमेशा के लिये दाखि़ल हो जाओ)
यह वह असनाफ़े मलाएका हैं जिनका इस दुआ में तज़किरा है और इनके अलावा और कितने एक़साम व असनाफ़ हैं तो उनका अहाता अल्लाह के सिवा कौन कर सकता है - (तुम्हारे परवरदिगार के लश्करों को उसके अलावा कोई नहीं जानता)

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

शिया समुदाय की उत्पत्ति व इतिहास (2)
बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल
सबसे पहला ज़ाएर
কুরআন ও ইমামত সম্পর্কে ইমাম জাফর ...
दुआ ऐ सहर
आज यह आवश्यक है की आदरनीय पैगम्बर ...
रूहानी लज़्ज़ते
रोज़े की फज़ीलत और अहमियत के बारे ...
इस्लाम का सर्वोच्च अधिकारी
बीस मोहर्रम हुसैनी काफ़िले के साथ

 
user comment