Hindi
Friday 19th of April 2024
0
نفر 0

आख़री नबी हज़रत मुहम्मद स. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: एक संपूर्ण और बेहतरीन मॉडल की पहचान और उसे अपना मॉडल बनाना हर बामक़सद ज़िन्दगी जीने वाले आदमी की पैदाइशी ज़रूरत है। इसलिये कि इसका ज़िन्दगी के हर मैदान में, हर छोटे बड़े नैतिक मामले में, तरक़्क़ी के हर मोड़ पर और समाज की राजनीतिक, क़ानूनी और कल्चरल समस्याओं पर बहुत ज़्यादा असर पड़ता है। अल्लाह तआला ने बहुत सारे पैग़म्बर भेजे ताकि आध्यात्मिक तरक़्क़ी और इंसानी कमाल चाहने वाले लोग उनकी ज़िन्दगी को देख और पढ़ कर सौ
आख़री नबी हज़रत मुहम्मद स. का संक्षिप्त जीवन परिचय।

अहलेबैत न्यूज़ एजेंसी अबना: एक संपूर्ण और बेहतरीन मॉडल की पहचान और उसे अपना मॉडल बनाना हर बामक़सद ज़िन्दगी जीने वाले आदमी की पैदाइशी ज़रूरत है। इसलिये कि इसका ज़िन्दगी के हर मैदान में, हर छोटे बड़े नैतिक मामले में, तरक़्क़ी के हर मोड़ पर और समाज की राजनीतिक, क़ानूनी और कल्चरल समस्याओं पर बहुत ज़्यादा असर पड़ता है। अल्लाह तआला ने बहुत सारे पैग़म्बर भेजे ताकि आध्यात्मिक तरक़्क़ी और इंसानी कमाल चाहने वाले लोग उनकी ज़िन्दगी को देख और पढ़ कर सौभाग्य, तरक़्क़ी और कमाल का रास्ता तय करें। पैग़म्बरो में सर्वश्रेष्ठ और सबसे महान आख़री नबी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स.अ हैं जिनकी ज़िन्दगी और कैरेक्टर को अल्लाह नें क़यामत तक के इन्सानों के लिये मॉडल बनाया है। आप स.अ. पर ईमान लाने वाले आपके साथी आपका हर काम नज़दीक से देखते और बहुत ज़्यादा प्रभावित होते थे, उसके बाद उनके कैरेक्टर और हावभाव में ऐसा बदलाव आता था कि न पूछिये! आपके सबसे क़रीबी सहाबी जिनको पाला पोसा भी आप ही ने था, हज़रत अली इब्ने अबी तालिब अ. थे जो हर समय आपके साथ रहते और हर चीज़ आपसे सीखते थे। जिसे मौला अली अ. नें नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में भी बयान किया है। इसमें कोई शक नहीं कि रसूले ख़ुदा स. का कैरेक्टर इन्सानों के लिये कल भी एक बेहतरीन मॉडल था, आज भी है और कल भी रहेगा।
आज की दुनिया नें बहुत तरक़्क़ी कर ली है और हर तरह से पहले के मुक़ाबले में पूरी तरह बदल चुकी है लेकिन नैतिकता, अख़्लाक़ और आध्यात्मिकता में रसूलुल्लाह स.अ. की शिक्षाओं की मोहताज है। इसी मक़सद से हमनें यह छोटा सा आर्टिकिल तैयार किया है इसे पढ़ने वालों के सामने पेश कर रहे हैं।
1. शुभ जन्म के समय की घटनाएं
अहलेबैत अ. के मानने वालों यानी इसना अशरी शियों के अनुसार ख़ातेमुल अम्बिया हज़रत मुहम्मद इब्ने अब्दुल्लाह स.अ. 17 रबीउल अव्वल सन् एक आमुल फ़ील को मक्के में पैदा हुए थे। उसी साल हबशा के राजा अबरहा नें हाथियों की फ़ौज लेकर मक्के में ख़ानए काबा पर हमला किया था। हुज़ूर स.अ. के जन्म से पहले ही आपके पिता का निधन हो चुका था। जब 6 साल के थे प्यारी मां आमेना बिन्ते वहब भी दुनिया से गुज़र गईं। बचपन में ही यतीम हो गए और उसके बाद आपके दादा अब्दुल मुत्तलिब अ. और चचा अबू तालिब अ. नें आपको पालने की ज़िम्मेदारी संभाली। चालीस साल की उम्र और उसके बाद तक ऐसी ऐसी अजीब घटनाएं घटती रहीं जिन्हें पढ़ और सुन कर हर मुस्लिम और ग़ैर मुस्लिम आश्चर्य चकित रह जाता है। फ़ारस का आतिश कदा बुझ गया, ज़लज़ला आया और बुत अपनी जगह से उखड़ गए, शैतान रोया.. यह सारी चीज़ें बता रही थीं कि कोई बड़ी घटना हुई है और एक नेक और बेमिसाल बच्चा यानी हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा स. दुनिया में आए हैं जो अत्याचार, कुफ़्र और गुमराही से भरी दुनिया को तौहीद, ख़ुदा परस्ती, तक़वा, सदाचार और इंसानी कमाल का रास्ता दिखाएंगे।
2. सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र और ईसाई पादरियों की भविष्यवाणी
हुज़ूर स. नें दो बार सीरिया का ऐतिहासिक सफ़र किया है; एक बार 12 साल की आयु में और एक बार पच्चीस साल की उम्र में। पहले सफ़र मं राहिब बहीरा नें हज़रत अबूतालिब अ. को होशियार किया था कि यहूदियों की तरफ़ से आप स. से बुरा बर्ताव किया जाएगा। दूसरे सफ़र में राहिब नस्तूरा नें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद के ग़ुलाम मीसरा को हुज़ूर स. के शानदार भविष्य की ख़ुशख़बरी सुनाई थी। इस सफ़र में आपने ख़दीजा स. के व्यापार को बहुत ज़्यादा फ़ायदा पहुंचाया और मीसरा नें भी उन्हें आपकी स. ईमानदारी के बारे में बताया। जब आप 20 साल के थे तो आपनें हलफ़ुल फ़ुज़ूल नामक एक समझौते में हिस्सा लिया। इसी दौरान आप स. मुहम्मद अमीन के नाम से ने जाने लगे। आपका कैरेक्टर मक्के के उस दौर के जाहिल समाज में लोगों के लिये बहुत ही अजीब था।
3. ख़दीजा स. से शादी
25 साल की उम्र में आपनें ख़दीजा बिन्ते ख़ुवैलद से शादी की। वह एक सती साध्वी, पाक दामन, मुत्तक़ी व सदाचार और अल्लाह से डरने वाली औरत और उनके पास बहुत ज़्यादा धन दौलत थी। हज़रत ख़दीजा अ. ने अपनी दौलत का पूरा अधिकार रसूलुल्लाह स. को दिया। हज़रत ख़दीजा अ. का व्यक्तित्व, आपकी इस्लाम और रसूलल्लाह स. की सेवा और दूसरी ख़ूबियों के हवाले से अलग से चर्चा करने की ज़रूरत है।
4. अली इब्ने अबी तालिब अ. का पालन पोषण
13 रजब सन् तीस आमुल फ़ील को एक मोवअहिद (अल्लाह को एक मानने वाला) बाप (हज़रत अबूतालिब अ.) और नेक मां (हज़रत फ़ातिमा बिन्ते असद अ.) के यहां एक बच्चा पैदा हुआ जिसका जन्म काबे के अन्दर हुआ था। वह बच्चा छ: साल की उम्र में सही प्रशिक्षण के मक़सद से रसूलल्लाह स. और जनाबे ख़दीजा स. के घर चला आया। इमाम अली अ. नहजुल बलाग़ा के एक ख़ुतबे में बयान करते हैं कि आपका रसूलुल्लाह स. से कितना नज़दीकी सम्बंध था और किस तरह आपनें रसूलुल्लाह स. से शिक्षा पाई और आध्यात्मिक अनुकम्पाएं हासिल कीं


source : abna24
0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

बनी हाशिम के पहले शहीद “हज़रत अली ...
इमाम सज्जाद अलैहिस्सलमा का जन्म ...
शबे आशूर के आमाल
अज़ादारी और इसका फ़लसफ़ा
ईश्वर की दया के विचित्र जलवे 2
इस्लामी क्रान्ति की कला की ...
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
बिना अनुमति के हज करने की कोशिश ...
शिया समुदाय की उत्पत्ति व इतिहास (2)
बक़रीद के महीने के मुख्तसर आमाल

 
user comment