रमज़ानुल मुबारक का महीना, अल्लाह के बनाए हुए महीनों में सबसे सर्वश्रेष्ठ महीना है। क़ुरआने करीम इसी महीने में उतरा है। इस्लामी हदीसों में आया है कि आसमान और जन्नत के दरवाज़े इस महीने में खोल दिये जाते हैं जबकि जहन्नम के दरवाज़े बंद हो जाते हैं। क़ुरआने मजीद की आयतों में आया है कि रमज़ान महीने की रातों में एक ऐसी रात भी है जिसमें की जाने वाली इबादत एक हज़ार महीनों तक की जाने वाली इबादत के बराबर मानी जाती है। पैग़म्बरे इस्लाम (स) शाबान के अपने विशेष ख़ुत्बे में जिसे ख़ुत्बा-ए-शाबानिया कहते हैं, फ़रमाते हैं कि ऐ, अल्लाह के बंदों, अल्लाह की रहमतों, अनुशंसाओं और इस्तिग़फ़ार व क्षमा का महीना आपके सामने है। वह महीना जो अल्लाह के निकट सबसे उत्तम महीना है। जिसके दिन, उत्तम दिन, जिसकी रातें सबसे अच्छी रातें और जिसकी घड़ियां उत्तम घड़ियां हैं। आपको अल्लाह के आतिथ्य का न्यौता दिया गया है। आप सम्मानीय लोगों के गुट में शामिल हुए हैं। इस महीने में आपकी सांसें अल्लाह के ज़िक्र व गुणगान, आपकी नींद अल्लाह की इबादत, आपके काम क़बूल और आपकी दुआएं पूरी होती हैं इसलिये सच्ची भावना और पाक दिल से अपने परवरदिगार को पुकारिये ताकि रोज़ा रखने और क़ुरआन पढ़ने में वह आपकी मदद करे। कितना अभागा है वह इंसान जो इस महान महीने में अल्लाह की मग़फ़िरत व क्षमा को हासिल न कर सके। आप इस महीने की भूख और प्यास की कल्पना कीजिए। इसके बाद पैग़म्बरे इस्लाम (स) रोज़ा रखने वालों के कर्तव्यों को गिनवाते हैं और इस महीने में ग़रीबों को दान देने, बड़े-बूढ़ों के सम्मान, बच्चों पर कृपा, रिश्तेदारों से मेल-मिलाप, ज़बान-आंख और कान को हराम और वर्जित बातें कहने, देखने और सुनने से रोकने, यतीमों के प्रति कृपा तथा इबादत और लोगों विशेषकर दीन-दुखियों को खाना खिलाने के सवाब की व्याख्या करते हैं। रमज़ान का महीना अल्लाह की विभूतियों का महीना है। अगर रोज़े को पूरे इल्म के साथ रखा जाए तो यह महीना इंसान के जिस्म, उसकी रूह और उसके समाज के लिए अत्यन्त सकारात्मक आयामों वाला अवसर है। हमारी अल्लाह से दुआ है कि वह हमें रोज़े को उसके वास्तविक मक़सदों और उद्देश्यों के साथ रखने की क्षमता प्रदान करे।
source : abna