Hindi
Saturday 20th of April 2024
0
نفر 0

दस मोहर्रम के सायंकाल को दो भाईयो की पश्चाताप 1

दस मोहर्रम के सायंकाल को दो भाईयो की पश्चाताप 1

पुस्तक का नामः पश्चाताप दया की आलंग्न

लेखकः आयतुल्ला हुसैन अंसारीयान

 

इस्लाम मे पश्चाताप का अर्थ है पापी का अपने पापो पर पछतावा करना, अपने किए हुए पापो से शर्मिंदा होकर ईश्वर की ओर पलट जाना, यह मार्ग मानव के लिए सदैव खुला हुआ है क्योकि दिव्य पाठशाला उम्मीद तथा आशा का धर्म है, प्रेम दया का सोत्र तथा इश्क़ एंव वफ़ा का केंद्र है। इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम पूर्णरूप से ईश्वर की दया के दर्पण है प्राणीयो, मित्रो तथा शत्रुओ पर भी दया इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम का अस्तित्व प्रेम और मुहब्बत की प्रतिमा था आपकी वार्तालाप और चरित्र मुहब्बत से पूर्ण था, जब से यज़ीदी सेना आप के साथ हुई उसी समय से आप का यह प्रयास रहा कि उनका मार्गदर्शन करे, और वह लोग सीधे रास्ता का च्यन कर लें, जहां तक सम्भव था वहा तक आपने उनका मार्गदर्शन करते रहे।

युद्ध से पहले प्रयास किया, कुरूक्षेत्र मे अपनी वार्तालाप द्वारा प्रयास किया, जिसका परिणाम यह निकला कि जिन लोगो मे हिदायत की क्षमता थी उनकी हिदायत करके उनको नर्क से निकाल कर स्वर्ग मे जाने का हक़दार बना दिया।

 

जारी

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

सैटेलाइट से ली गई तस्वीरों ने ...
सुप्रीम कोर्ट के जजों ने दी ...
इमाम अली अलैहिस्सलाम की दृष्टि मे ...
इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम और ...
हज़रत यूसुफ़ और ज़ुलैख़ा के इश्क़ ...
मनमानी फीस वसूलने वालों पर शिकंजा ...
दस मोहर्रम के सायंकाल को दो भाईयो ...
ईश्वर को कहां ढूंढे?
युसुफ़ के भाईयो की पश्चाताप 4
क़ुरआन की फेरबदल से सुरक्षा

 
user comment