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Thursday 25th of April 2024
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इनहेराफ़ी बहसे

हमारा मानना है कि मुस्लमानों को क़ुरआने करीम की आयात में तदब्बुर करने से रोकने के लिए हमेशा ही साज़िशें होती रही हैम इन साज़िशों के तहत कभी बनी उमय्यह व बनी अब्बास के दौरे हुकूमत में अल्लाह के कलाम के क़दीम या हादिस होने की बहसों को हवा दे कर मुस्लमानों को दो गिरोहों में तक़्सीम कर दिया गया, जिस के सबब बहुत ज्यादा ख़ूँरेजिया वुजूद में आई। जबकि आज हम सब जानते हैं कि इन बहसों में नज़ाअ असलन मुनासिब नही है। क्योँ कि अगर अल्लाह के कलाम से हरूफ़ ,नक़ूश ,किताबत व काग़ज़ मुराद है तो बेशक यह सब चीज़ें हादिस हैं और अगर इल्मे परवरदिगार में इसके मअना मुराद हैं तो ज़ाहिर है कि उसकी ज़ात की तरह यह भी क़दीम है। लेकिन सितमगर हुक्काम और ज़ालिम ख़लीफ़ाओं ने मुसलमानों को बरसों तक इस मस्ले में उलझाए रक्खा। और आज भी ऐसी ही साज़िशें हो रही है और इस के लिए दूसरे तरीक़े अपनाए जा रहे हैं ताकि मुस्लमानों को क़ुरआनी आयात पर तदब्बुर व अमल से रोका जा सके।


source : http://al-shia.org
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