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अशीष के व्यय मे लोभ

अशीष के व्यय मे लोभ

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: पश्चताप दया की आलंगन

मैने कंजूसी की अवगुणता एंव शेष अशीष को हकदार को प्रदान नाकरने को एक अशिक्षित कृषक व्यक्ति से ग्रहण किया।

मै ईश्वरीय संदेश के प्रचार, भाषण एंव पाठ हेतु कृषि के एक क्षेत्र मे गया था भाषण के समाप्ति के उपरान्त एक वृद्ध व्यक्ति जिसके दिन रात परिश्रम एंव कार्यो का प्रभाव उसके मुख एंव हाथो के घट्टो से प्रकट था- ने मुझ से कहाः एक करीम नामक व्यक्ति अन्य पथ से पहुचता है तथा कृषि के अनुकूलित धरती विभीन्न प्रकार के दानो एवं फ़सल के संघ एंव जल को मनुष्य को प्रदान करता है जैसे ही फसल काटने का समय आता है तो वह खलियान मे आता है और कृषक से कहता है बीज एंव जल तुमको प्रदान किया गया तथा प्रकाश, वायु एंव वर्षा तथा बर्फ को निशुल्क प्रयोग किया। कहता हैः अधिकांश भाग इस अन्न का तुम्हारे लिए है तथा मै उसके किसी भाग का इच्छुक नही हूँ परन्तु मै कुच्छ व्यक्तियो की पहचान कराता हूँ उन्हे इसका थोडा भाग प्रदान करो क्योकि मुझे एक दाने की भी आवश्यकता नही है। यदि यह कृषक उसके बताए हुए व्यक्तियो को कुच्छ भी प्रदान नकरे जिसके कारण उसे इतना अनाज प्राप्त हुआ है तो यह तुच्छता की चरम सीमा है अर्थात उसने तुच्छ कार्य किया और अपने ह्रदय को पत्थर के समान कठोर एव निर्दय बना लिया है यघपि उस करीम का हक़ है कि वह कृषक से मुह मोड़ले तथा उसकी अवगुणता पर क्रोधित हो एंव उसके इस तुच्छ कर्म पर उसे दंण्डित करे। फिर कहाः करीम व्यक्ति से मेरा तात्पर्य ईश्वर है जिसने अनुकूल धरती, बहती नदियाँ, जल से पुर्ण सोत्र बर्फ एंव वर्षा, सूर्य की किरणे एंव चंद्रमा पर मनुष्य को अधिकार दिया इसके उपरान्त विभिन्न प्रकार एंव रंगा रंग अन्न एंव फल प्रदान किया और वास्तव मे समस्त वस्तुऐ निशुल्क हमको प्रदान किया फिर इच्छा प्रकट किया की खुम्स (वर्ष के शेष माल का पाँचवा भाग), ज़कात एंव सदक़ा को फ़क़ीर, गरीब (निर्धन) तथा कार्य से विवश व्यक्तियो को दान दे। यदी हम उसका हक़ अदा नकरे एंव उसकी इच्छा की पूर्ति न कर के कंजूसी करे तो उसे अधिकार है कि वह इस दुष्कर्म पर दंण्डित करे एंव इस जुर्म की सजा दे।

इस संदर्भ मे पवित्र पुस्तक कुरआन का कथन हैः

وَلاَ يَحْسَبَنَّ الَّذِينَ يَبْخَلُونَ بِمَا آتَاهُمُ اللّهُ مِن فَضْلِهِ هُوَ خَيْراً لَهُمْ بَلْ هُوَ شَرٌّ لَهُمْ سَيُطَوَّقُونَ مَا بَخِلُوا بِهِ يَوْمَ الْقِيَامَةِ وَلِلّهِ مِيرَاثُ السَّماوَاتِ وَالاْرْضِ وَاللّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ

वला यहसबन्नल लज़ीना यबख़लूना बेमा आताहोमुल्लाहो मिन फ़ज़्लेहि होवा ख़ैरल्लहुम बल होवा शर्रा लहुम सयेतवव्क़ूना माबखेलू बेहि योमल क़यामते वा लिल्लाहे मीरासस्समावाते वल अर्जे वल्लाहो बेमा तमालूना ख़बीर[1]

वह जिनको ईश्वर ने अपनी कृपा से प्रदान किया है उसमे से अधिकारिक व्यक्तियो को दान करने मे कंजूसी करे, यह कल्पना न करे कि कंजूसी उनके लाभ मे है बलकि उनके लिए हानिकारक है, क़यामत के दिन जिस ने कंजूसी की है उसे अग्नि का हार बनाकर गले मे डाल दिया जाएगा, धरती एंव आकाशो का अधिकार ईश्वर के लिए है तथा ईश्वर तुम्हारे कर्मो का जानकार है।



[1] सुरए आले इमरान 3, छंद 180

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