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अशीष मे फ़िज़ूलख़र्ची अपव्यय है

अशीष मे फ़िज़ूलख़र्ची अपव्यय है

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: तोबा आग़ोश

 

जो व्यक्ति अपने धन, दौलत, स्थान, उत्तेजना, और आध्यमिकता को शैतानी कार्यक्रमो, तर्कहीन मुद्दो और नियम एंव सीमा के दायरे से बाहर ख़र्च करता है ऐसा व्यक्ति पवित्र क़ुरआन की दृष्टि कोण से उड़ाऊ (फ़िज़ूलख़र्च करने वाला) है।

कृषि के परिणाम और फल, और यह ईश्वर प्रदत्त धन के बारे मे पवित्र क़ुरआन कहता हैः

وَآتُوا حَقَّهُ يَوْمَ حَصَادِهِ وَلاَ تُسْرِفُوا إِنَّهُ لاَ يُحِبُّ الْمُسْرِفِينَ

वआतु हक़्क़हू योमा हसादेहि वला तुसरिफ़ू इन्नहु लायोहिब्बुल मुसरिफ़ीन[1]

फ़सल की कटाई और उसे इकठ्ठा करने के दिन (गेहूँ, जौ, खजूर, किशमिश) जिन व्यक्तियो का ईश्वर ने हक़ निर्धारित किया है {फ़क़ीर[2], मिस्कीन[3](गरीब), ज़कात[4] इकठ्ठा करने वाले लोग, ग़ैर मुसलमान व्यक्ति जो इस्लाम धर्म की ओर रुझान रखता है, ग़ुलाम, ऋण धारको, ईश्वर मार्ग और वह व्यक्ति जो यात्रा के बीच कठिनाई मे फस गया हो}[5] उन्हे भुगतान करें, फ़िज़ूलख़र्च और लोभ करते हुए हक़ का भुगतान नकरें, क्योकि फ़िज़ूलख़र्च करने (उड़ाने) वालो को ईश्वर पसंद नही करता है।

  

जारी


[1] सुरए अन्आम 6, आयत 141

[2] फ़क़ीर वह व्यक्ति है जिसके पास अपने और अपने परिवार के लिए एक वर्ष का ख़र्चा नहो। अनुवादक

[3] मिस्कीन वह व्यक्ति है जिसकी दुर्दशा फ़क़ीर से अधिक ख़राब हो। अनुवादक

[4] ज़क़ात इस्लाम धर्म का एक प्रकार का टैक्स है जो 9 चीज़ो पर लगता है जिसमे चार प्रकार के अनाज, तीन प्रकार के पशु और सोना, चाँदी है। अनाज मे (गेहूँ, जौ, खजूर, किशमिश), पशुओ मे (गाय-भैस, भेड़-बकरी, ऊट) है। अनुवादक    

[5] सुरए तोबा 9, आयत 60

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