आज मिले अवसर से लाभ उठाओ, कौन जाने "कल" किसका होगा।जिसकी ज़बान सच्ची होगी, उसका चरित्र पवित्र हो जाएगा।विनम्रता यह है कि अन्य लोगों से भेंट के समय उन्हें सलाम करो और बहस से ...
आज इमाम हसन असकरी की शहादत का दिन है। 8 रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है। उन्होंने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख ...
२० सफर सन् ६१ हिजरी कमरी, वह दिन है जिस दिन हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके वफादार साथियों को कर्बला में शहीद हुए चालिस दिन हुआ था। पूरी सृष्टि चालिस दिन से हज़रत इमाम ...
नाम
आपका नामे नामी अली इब्ने हुसैन था।
उपनाम
आपका लक़ब अकबर था।
माता पिता
हज़रत अली अकबर अलैहिस्सलाम के पिता हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम व आपकी माता हज़रते ...
मामून रशीद के इन्तेक़ाल के बाद जब मोतासिम बिल्लाह ख़लीफ़ा हुआ तो उसने भी अपने अबाई किरदार को सराहा और ख़ानदानी रवये का इत्तेबा किया। उसके दिल में भी आले मौहम्मद की तरफ़ से ...
जनाबे फ़ातिमा ज़हरा स. की श्रेष्ठता दिल और आत्मा को इस तरह अपनी तरफ़ खींचती है कि इन्सान की ज़बान बंद हो जाती है। जो भी उनकी श्रेष्ठता और ख़ुदा और उसके रसूल की नज़र में उनके ...
अबनाः ईरान के पवित्र शहर क़ुम में कल ''फ़िक्रे इस्लामी'' नामक संस्था की ओर से इमाम खुमैनी (रह) मदरसे में नहजुल बलाग़ा की महानता के शीर्षक से एक सेमिनार का आयोजन किया गया ...
एक दिन इमाम हसन (अ) घोड़े पर सवार कहीं जा रहे थे कि शाम अर्थात मौजूदा सीरिया का रहने वाला एक इंसान रास्ते में मिला। उस आदमी ने इमाम हसन को बुरा भला कहा और गाली देना शुरू कर ...
इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि अली अलैहिस्सलाम के शिया वह लोग हैं जो अपने भाईयों, बंधुओं को ख़ुद पर प्राथमिकता देते हैं चाहे उन्हें कितनी ही ज़रूरत क्यों न ...
8 रबीउल अव्वल को हज़रत इमाम हसन अस्करी अलैहिस्सलाम का शहादत दिवस है। उन्होंने अपनी 28 साल की ज़िन्दगी में दुश्मनों की ओर से बहुत से दुख उठाए और तत्कालीन अब्बासी शासक ‘मोतमद’ ...
ख़ानदाने नुबुव्वत का यह चाँद अगर एक तरफ़ आबाई फ़ज़ायल व कमालात का मालिक होने की बेना पर फ़ख्रे अरब है तो दूसरी तरफ़ माँ की अज़मत व जलालत की बेना पर अजम के जाह व हशम का मालिक ...
जनाबे फ़ातिमा ज़हरा स. की श्रेष्ठता दिल और आत्मा को इस तरह अपनी तरफ़ खींचती है कि इन्सान की ज़बान बंद हो जाती है। जो भी उनकी श्रेष्ठता और ख़ुदा और उसके रसूल की नज़र में उनके ...
हदीस (1) हज़रत फ़ातिमा ज़हरा स. फ़रमाती हैंः "अगर रोज़ेदार, रोज़े की हालत में अपनी ज़बान, अपने कान और आँख और बदन के दूसरे हिस्सों की हिफ़ाज़त न करे तो उसका रोज़ा उसके लिए ...
उफ़ुक़ पर मुहर्रम का चाँद नुमुदार होते ही दिल महज़ून व मग़मूम हो जाता है। ज़ेहनों में शोहदा ए करबला की याद ताज़ा हो जाती है और इस याद का इस्तिक़बाल अश्क़ों की नमी से होता है ...
शादी के अगले दिन जब पैगंबर ने अली (अ.स.) से पूछा:ऐ अली तुमने मेरी बेटी जहरा को कैसा पाया? इमाम ने जवाब दिया, फातिमा अल्लाह की इताअत में सबसे अच्छी मददगार ...
मुतावातिर रिवायात की बिना पर पैग़म्बरे इस्लाम (स.)ने क़ुरआन व अहलेबैत अलैहिमुस् सलाम के बारे में हमें जो हुक्म दिया हैं कि इन दोंनों के दामन से वाबस्ता रहना ताकि हिदायत पर ...
उस निर्धारित रात में नैतिक गुणों के बादशाह हज़रत अली अलैहिस्सलाम रह रह कर अपने कमरे से बाहर निकलते और आकाश को देखते थे। कभी पापों की क्षमा-याचना का स्मरण करते तो कभी सूरए ...
बेसत के तेरहवें साल इसी रात हज़रत रसूलुल्लाह स.अ की मक्क-ए-मुअज़्ज़मा से मदीना-ए-मुनव्वरा की ओर हिजरत (पलायन) की शुरुआत हुई, इस रात आप सौर नामक गुफ़ा में रहे और हज़रत अमीरुल ...