अभी के अभी हुसैन दे दे जो रन की रज़ा अभी के अभी.......यज़ीद कर दूँ तेरा फेँसला अभी के अभी...... अली का शेर हूँ, अब्बास नाम है मेराचलेगी साथ मेरे अल्कमा अभी के अभी...... तपिश ...
आज जब कि इमाम हुसैन (अ) की ज़ियारत की हर तरफ़ धूम है जिसको देखो वहीं आपकी ज़ियारत के लिये दुनिया के कोने कोने से चला जा रहा है तो इस समय कुछ इस्लाम के दुश्मन और हुसैनियत से दूर ...
हज़रत जौन का दफ़्न किया जानासोमवार बीस मोहर्रम सल 61 हिजरीआशूर के दस दिन के बाद बनी असद के कुछ लोगों ने हज़रत अबूज़र ग़फ़्फ़ारी के दास हज़रत जौन के पवित्र शरीर को देखा इस ...
17 रबियुल अव्वल सन् 83 हिजरी की पूर्व संध्या थी। अरब की तपती हुई रेत ठंडीs हो चुकी थी। हवा के हल्के हल्के झोंके पुष्प वाटिकाओं से खुशबूओं को उड़ा कर वातावरण को सुगन्धित कर रहे ...
इस्लाम और सिक्योलरिज़्म आज की दुनिया के दो महत्वपूर्ण दृष्टिकोण (नज़रियात) हैं और इन्हीं की वजह से आज दुनिया दो गुरूप में विभाजित है।इनमें से एक इस्लामी दृष्टिकोण है और ...
एक दिन इमाम हसन (अ) घोड़े पर सवार कहीं जा रहे थे कि शाम अर्थात मौजूदा सीरिया का रहने वाला एक इंसान रास्ते में मिला। उस आदमी ने इमाम हसन को बुरा भला कहा और गाली देना शुरू कर ...
इमाम रज़ा अ.स. को शहीद करने के बाद मामून चाहता था कि किसी तरह से इमाम तक़ी अ.स. पर भी नज़र रखे और इस काम के लिये उसने अपनी बेटी उम्मे फ़ज़्ल का निकाह इमाम तक़ी से करना चाहा।
इस बात पर ...
इस्लाम में पड़ोसी के साथ अच्छे व्यवहार पर बड़ा बल दिया गया हैं। परन्तु इसका उददेश्य यह नही हैं कि पड़ोसी की सहायता करने से पड़ोसी भी समय पर काम आए, अपितु इसे एक मानवीय ...
अच्छा मनुष्य, अच्छा ख़ानदान, अच्छा समाज और अच्छी व्यवस्था-यह ऐसी चीज़ें हैं जिन्हें हमेशा से, हर इन्सान पसन्द करता आया है क्योंकि अच्छाई को पसन्द करना मानव-प्रकृति की ...
हज़रत फ़तिमा स्त्रीयों को क़ुरआन व धार्मिक निर्देशों की शिक्षा देती व उनको उनके कर्तव्यों के प्रति सजग करती रहती थीं। आप की मुख्यः शिष्या का नाम फ़िज़्ज़ा था जो गृह ...
आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे कि जब खि़लाफ़त इमाम अ़ली का हक़ था तो क्यु आपने पैग़म्बर के स्वर्गवास के बाद अपने हक़ को अबूबकर, उस्मान या उमर से लेने की कोशिश नहीं की?
इस सवाल के ...
वाज़ेह रहना चाहिये के जिस तरह क़ुरआन आम किताबों की तरह की किताब नही है। इसी तरह आम दसातीर (क़ानूनों) की तरह का दस्तूर (क़ानून) भी नही है।दस्तूर (क़ानून) का मौजूदा तसव्वुर ...
चार शाबान एसे महान व्यक्ति का शुभ जन्म दिवस है जिसका नाम इतिहास में निष्ठा और त्याग का पर्याय बन चुका है।शाबान महीने की चार तारीख़ को हज़रत अली अलैहिस्सलाम के सुपुत्र ...
ये वाकिआ 63 हिजरी के ज़िलहिज्जा के महीने मे पेश आया (1)और वाकेआ ऐ हुर्रा के नाम से मशहूर हुआ।(2) करबला के खूनी वाकेऐ के बाद लोग यज़ीद की खबासत और बेदीनी को जान गऐ थे इसलिऐ लोगो ने ...
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की इमामत वाला जीवन बीस साल का था जिसको हम तीन भागों में बांट सकते हैं।1. पहले दस साल हारून के ज़माने में2. दूसरे पाँच साल अमीन की ख़िलाफ़त के ज़माने में3. ...
आज इमाम अली इब्ने मूसर्रज़ा अलैहिस्सलाम का शुभ जन्म दिवस है। वह इमाम जो प्रकाशमई सूर्य की भांति अपना प्रकाश बिखेरता है। पैग़म्बरे इस्लाम सल्लाहो अलैहे वआलेही वसल्लम का ...
देता हूँ दोस्तों तुम्हें दावत नमाज़ कीतकदीर वाले पाते हैं दौलत नमाज़ कीजिस घर के लोग करते हैं इज्ज़त नमाज़ कीउस घर में पाइ जाती है बरकत नमाज़ कीदोनों जहां में रहता है वो आन शान ...
अहलेबैत (अ) के पवित्र और मासूम ख़ानदान में इंसानी गुणों और रोल माडल की तलाश विशेषकर पवित्र महिलाओं की जीवनी हर सच्चे और न्यायप्रिय व्यक्ति के लिये एक पाठ है। इस ख़ानदान की ...
इस्लामी हिजरी क़मरी वर्ष के बारहवें महीने ज़िल्हज्जा की 24 तारीख़ को पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहे व आलेही व सल्लम तथा नजरान क्षेत्र के ईसाइयों के बीच मुबाहेला हुआ ...