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तालेबान-अमेरिका वार्ता के बीच मुल्ला उमर को लेकर नया रहस्योद्घाटन

तालेबान-अमेरिका वार्ता के बीच मुल्ला उमर को लेकर नया रहस्योद्घाटन

एक ओर जहां 25 फ़रवरी से तालेबान और अमरीका के बीच अंतिम चरण की वार्ता जारी है वहीं दूसरी ओर तालेबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला उमर को लेकर एक हॉलैंडी लेखक ने नया रहस्योद्घाटन किया है।

समाचार एजेंसी तसनीम की रिपोर्ट के मुताबिक़, चरमपंथी गुट तालेबान के संस्थापक और प्रमुख रहे मुल्ला उमर पर एक लेखक ने “टेन सिक्रेट लाइफ़ ऑफ़ मुल्ला उमर” नामक किताब में कई रहस्यों से पर्दा उठाया है। मुल्ला उमर के जीवन पर लिखी गई किताब में इस बात का ख़ुलासा किया गया है कि पूर्व तालेबान प्रमुख कभी भी पाकिस्तान में नहीं छिपा बल्कि वह अफ़ग़ानिस्तान में ही मौजूद अमेरिकी सैन्य अड्डे से केवल तीन मील की दूरी पर ही रहता था।

हॉलैंड के एक पत्रकार ने अपनी नई किताब “टेन सीक्रेट लाइफ़ ऑफ़ मुल्ला उमर” में लिखा है कि आमतौर पर अमेरिकी अधिकारी यह समझते थे कि मुल्ला उमर पाकिस्तान में छिपा हुआ है, लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं था। पत्रकार “बीटेडैम” ने लिखा है कि मुल्ला उमर अफ़ग़ानिस्तान में अपने पैतृक प्रांत ज़ाबुल में अमेरिका के एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डे से केवल तीन मील की दूरी पर ही रहता था। वह ऐसे अमेरिकी सैन्य अड्डे से केवल तीन मील की दूरी पर रहता था जहां अमेरिकी नौसेना और ब्रिटिश सेना के सैनिक तैनात थे।

हॉलैंड के पत्रकार बीटेडैम ने अपनी पुस्तक लिखने के लिए पांच वर्ष का समय इसके अध्ययन में लगाया है। इस दौरान उन्होंने तालेबान के कई सरग़नाओं और सदस्यों से मुलाक़ात की और मुल्ला उमर के संबंध में बातचीत की। बीटेडैम ने जब्बार उमरी से भी बातचीत की, जो वर्ष 2001 में तालेबान सरकार की समाप्ति के बाद मुल्ला उमर का निजी सुरक्षा गॉर्ड बन गया था। जब्बार उमरी के अनुसार वह 2013 तक मुल्ला उमर के साथ था और तबतक साथ रहा जब लंबी बीमारी के कारण मुल्ला उमर की मौत हो गई थी।

किताब के अनुसार अमेरिका में 9/11 की घटना के बाद से मुल्ला उमर को अमेरिका के सैन्य अड्डे के पास गुप्त कमरों में शरण दी गई थी। पत्रकार ने अपनी किताब में दावा किया है कि अमेरिकी सैनिकों ने एक अवसर पर मुल्ला उमर को शरण दी जाने वाली जगह का निरीक्षण भी किया था लेकिन वह उन्हें खोज नहीं सके थे। उसके बाद उन्हें एक दूसरे स्थान पर ले जाया गया था जिसके केवल तीन मील की दूरी पर एक और सैन्य अड्डा था जहां 1000 अमेरिकी  सैनिक मौजूद थे।

बीटेडैम की किताब के सामने आने के बाद तालेबान के जानकारों का मानना है कि इस बात का पहले से ही अंदाज़ा लगाया जाता रहा है कि मुल्ला उमर पाकिस्तान में नहीं छिपा था बल्कि वह अफ़ग़ानिस्तान में ही था। लेकिन किताब में जो साक्ष्य पेश किए गए हैं उससे तो यह भी कहा जा सकता है कि मुल्ला उमर के छिपे होने के स्थान के बारे में व्हाइट हाउस को पूरी जानकारी थी, क्योंकि यह कैसे हो सकता है कि अमेरिकी सैन्य अड्डे से केवल तीन मील की दूरी पर मुल्ला उमर रह रहा हो और अमेरिकी सैनिकों को उसके बारे में कोई जानकारी न रही हो। 

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