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Saturday 20th of April 2024
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यमन में अमरीका, इस्राइल और सऊदी अरब का षड़यंत्र

अमेरिका और सऊदी अरब को यमन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के कारण इस देश के लोगों और क्रांतिकारियों की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना है। यमन के क्रांतिकारी युवाओं के गठबंधन ने एक विज्ञप्ति जारी करके क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये जाने वाले हर उस प्रस्ताव व प्रयास के प्रति अपने विरोध की घोषणा की है जिससे अली अब्दुल्लाह सालेह को सत्ता में बाक़ी रखा जा सके। यमन की जनता ने भी पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन करके इस देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की कड़ी भर्त्सना की है।

अमेरिका और सऊदी अरब को यमन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के कारण इस देश के लोगों और क्रांतिकारियों की कड़ी प्रतिक्रिया का सामना है। यमन के क्रांतिकारी युवाओं के गठबंधन ने एक विज्ञप्ति जारी करके क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किये जाने वाले हर उस प्रस्ताव व प्रयास के प्रति अपने विरोध की घोषणा की है जिससे अली अब्दुल्लाह सालेह को सत्ता में बाक़ी रखा जा सके। यमन की जनता ने भी पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन करके इस देश के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप की कड़ी भर्त्सना की है। कुछ युरोपीय देश अमेरिका, सऊदी अरब और संयुक्त अरब इमारात के साथ मिलकर यमन की तानाशाही व्यवस्था को बाक़ी रखने के प्रयास में हैं। फार्स खाड़ी की सहकारिता परिषद की योजना को बढ़ा- चढाकर पेश करना और साथ ही यमन के कुछ राजनीतिक गुटों से वार्ता वह राजनीति है जिसे अमेरिका और सऊदी अरब ने यमन के परिवर्तनों के संबंध में अपना रखी है। यमन में धीरे-२ सत्ता का हस्तांतरण भी वह नीति है जिसे अमेरिका, सऊदी अरब और फार्स खाड़ी की सहकारिता परिषद ने अपना रखी है। फार्स खाड़ी के कुछ सदस्य देश, संयुक्त अरब इमारात और सऊदी अरब इस प्रयास में हैं कि यमन के कुछ राजनीतक गुटों से संपर्क स्थापित करके धीरे- धीरे उन्हें यमन में सत्ता के हस्तांतरण के लिए बाध्य कर सकें। अमेरिका और सऊदी अरब का पूरा प्रयास यह है कि वह अली अब्दुल्लाह सालेह के सत्ता से अलग होने की भूमि प्रशस्त करें और साथ ही इस देश की वर्तमान व्यवस्था को अधिक समय तक के लिए अनिश्चितता की स्थिति में बनाये रखें। यमन संकट के समाधान के लिए अमेरिका और सऊदी अरब का मनमानी प्रयास ऐसी स्थिति में हो रहा है जब यमन के अधिकांश राजनीतिक गुटों व दलों ने विदेशी हस्तक्षेप को इस देश के लिए विपत्ति की संज्ञा दे रखी है। यमन की जनता भी सऊदी अरब के दृष्टिकोणों एवं उसके उद्देश्यों को ध्यान में रखने के कारण रियाज़ के हस्तक्षेप से भयभीत हैं। इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अमेरिका और सऊदी अरब यमन में हो रहे जनांदोलन को अपने हित में हाइजेक करने के प्रयास में हैं और यमन के अधिकांश राजनीतिक गुटों ने भी इस बात को भांप व समझ लिया है। इसी मध्य क्रांतिकारी गुटों ने घोषणा की है कि तानाशाही व्यवस्था के अंत और उससे संबंधित व्यक्तियों पर मुक़द्दमा चलाये जाने तक वे अपने प्रतिरोध को जारी रखेंगे। (हिन्दी एरिब डाट आई आर के धन्यवाद क साथ. )........166

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