Hindi
Friday 29th of March 2024
0
نفر 0

सब से बड़ा मोजिज़ा

हमारा अक़ीदा है कि क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम (स.) का सब से बड़ा मोजज़ा है और यह फ़क़त फ़साहत व बलाग़त, शीरीन बयान और मअनी के रसा होने के एतबार से ही नही बल्कि और मुख़्तलिफ़ जहतों से भी मोजज़ा है। और इन तमाम जिहात की शरह अक़ाइद व कलाम की किताबों में बयान कर दी गई है।

इसी वजह से हमारा अक़ीदा है कि दुनिया में कोई भी इसका जवाब नही ला सकता यहाँ तक कि लोग इसके एक सूरेह के मिस्ल कोई सूरह नही ला सकते। क़ुरआने करीम ने उन लोगों को जो इस के कलामे ख़ुदा होने के बारे में शक व तरद्दुद में थे कई मर्तबा इस के मुक़ाबले की दावत दी मगर वह इस के मुक़ाबले की हिम्मत पैदा न कर सके। “क़ुल लइन इजतमअत अलइँसु व अलजिन्नु अला यातू बिमिस्लि हाज़ा अलक़ुरआनि ला यातूना बिमिस्लिहि व लव काना बअज़ु हुम लिबअज़िन ज़हीरन। ”[64] यानी कह दो कि अगर जिन्नात व इंसान मिल कर इस बात पर इत्त्फ़ाक़ करें कि क़ुरआन के मानिंद कोई किताब ले आयें तो भी इस की मिस्ल नही ला सकते चाहे वह आपस में इस काम में एक दूसरे की मदद ही क्योँ न करें।

“व इन कुन्तुम फ़ी रैबिन मिन मा नज़्ज़लना अला अबदिना फ़ातू बिसूरतिन मिन मिस्लिहि व अदउ शुहदाअ कुम मिन दूनि अल्लाहि इन कुन्तुम सादिक़ीन”[65] यानी जो हम ने अपने बन्दे (रसूल) पर नाज़िल किया है अगर तुम इस में शक करते हो तो कम से कम इस की मिस्ल एक सूरह ले आओ और इस काम पर अल्लाह के अलावा अपने गवाहों को बुला लो अगर तुम सच्चे हो।

हमारा अक़ीदह है कि जैसे जैसे ज़माना गुज़रता जा रहा है क़ुरआन के एजाज़ के नुकात पुराने होने के बजाये और ज़्यादा रौशन होते जा रहे हैं और इस की अज़मत तमाम दुनिया के लोगों पर ज़ाहिर व आशकार हो रही है।

इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने एक हदीस में फ़रमाया है कि “इन्ना अल्लाहा तबारका व तआला लम यजअलहु लिज़मानिन दूना ज़मानिन व लिनासिन दूना नासिन फ़हुवा फ़ी कुल्लि ज़मानिन जदीदिन व इन्दा कुल्लि क़ौमिन ग़ुज़्ज़ इला यौमिल क़ियामति। ” [66] यानी अल्लाह ने क़ुरआने करीम को किसी ख़ास ज़माने या किसी ख़ास गिरोह से मख़सूस नही किया है इसी वजह से यह हर ज़माने में नया और क़ियामत तक हर क़ौम के लिए तरो ताज़ा रहेगा।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

उसूले दीन में तक़लीद करना सही नही ...
** 24 ज़िलहिज्ज - ईद मुबाहिला **
क्यों मारी गयी हज़रत अली पर तलवार
गुरूवार रात्रि 3
अक़्ल और अख़लाक
इमाम जाफ़र सादिक़ अ. का जीवन परिचय
जौशन सग़ीर का तर्जमा
हजरत अली (अ.स) का इन्साफ और उनके ...
बदकारी
हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम का ...

 
user comment