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हदीसे ग़दीर की सेहत का इक़रार करने वाले उलामा ए अहले सुन्नत

हदीसे ग़दीर की सेहत का इक़रार करने वाले उलामा ए अहले सुन्नत

बहुत से ने हदीसे गदीर की सेहत का इक़रार किया है जैसे:

1. इब्ने हजरे हैतमी

मौसूफ़ कहते हैं: हदीसे ग़दीर सही है और उसमें किसी तरह कोई शक व शुब्हा नही है, एक जमाअत जैसे तिरमिज़ी, निसाई और अहमद ने इसको नक़्ल किया है और वाक़ेयन इसके तरीक़े ज़्यादा हैं।

नीज़ वह कहते हैं: इस हदीस की बहुत सी सनद सही और हसन हैं और जो शख्स इस हदीस को ज़ईफ़ क़रार देना चाहे, उसके लिये कोई दलील नही है, नीज़ अगर कोई शख़्स यह कहे कि अली (अ) उस वक़्त यमन में थे तो उस पर तवज्जो नही की जायेगी, क्यो कि यह बात साबित हो चुकी है कि वह यमन से वापस आ गये थे और हुज़्जतुल वेदा में पैग़म्बरे अकरम (स) के साथ थे और बाज़ लोगों का यह कहना कि ...... जाली है तो उसका क़ौल भी बातिल है क्योकि यह जुमला ऐसे तरीक़ों से वारिद हुआ है कि ज़हबी ने इसके बहुत से तरीक़ो को सही माना है।

(अस सवाएक़े मोहरेक़ा पेज 42, 43)

2. हाकिम नैशा पुरी

मौसूफ़ ने ज़ैद बिन अरक़म से हदीस नक़्ल करने के बाद उसको सही माना है और वह इस बात की वज़ाहत करते हैं कि इस हदीस में शैख़ैन के नज़दीक सेहत के सारे शरायत पाये जाते हैं।

(मुसतदरके हाकिम जिल्द 3 पेज 109)

3. हलबी

मौसूफ़ ने हदीसे ग़दीर को नक़्ल करने के बाद कहा: यह एक ऐसी हदीस है जो सही है और सही व हसन सनदों के साथ नक़्ल हुई है और जो शख्स इस हदीस को शक व शुबहे की नज़र से देखे तो उसकी तरफ़ तवज्जो नही की जायेगी।

(अस सीरतुल हलबीया जिल्द 3 पेज 274)

4. इब्ने कसीरे दमिश्क़ी

वह अपने उस्ताद ज़हबी से हदीस नक़्ल करने के बाद इसकी सेहत के क़ायल हुए हैं।

(अल बिदायह वन निहायह जिल्द 5 पेज 288)

5. तिरमिज़ी

वह हज़रत अली (अ) के मनाक़िब में इस हदीसे ग़दीर को नक़्ल करने के बाद कहते हैं कि यह हदीस हसन और सही है।

(सही तिरमिज़ी जिल्द 2 पेज 298)

6. अबू जाफ़रे तहावी

मौसूफ़ हदीसे ग़दीर को नक़्ल करने के बाद कहते हैं कि यह हदीस सनद के लिहाज़ से सही है और किसी ने भी इस हदीस के रावियों पर ऐतेराज़ नही किया है। ()

7. इब्ने अब्दुल बर्र क़ुरतुबी

मौसूफ़ अक़्दे उख़ूवत, ऐताये इल्म और ग़दीर की हदीस के बारे में कहते हैं: यह तमाम रिवायात साबित शुदा अहादिस में से हैं।

(मुश्किलुल आसार जिल्द 2 पेज 308)

(अल इस्तिआब जिल्द 2 पेज 373)

8. सिब्ते बिन जौज़ी

मौसूफ़ तहरीर करते हैं: अगर कोई शख्स यह ऐतेराज़ करे कि यह रिवायत कि उमर ने हज़रत अली (अ) से कहा .... जईफ़ है तो हम उसके जवाब में कहेगें, यह रिवायत सही है।

(तज़किरतुल ख़वास पेज 18)

9. आसेमी

वह अपनी किताब ज़ैनुल फ़ता फ़ी तफ़सीरे सूरते हल अता में इस हदीस के सिलसिले से कहते हैं: यह ऐसी हदीस है जिसको उम्मत ने क़बूल किया है और उसूल के मुवाफ़िक़ है।

(ज़ैनुल फ़ता)

10. आलूसी

आलूसी अपनी तफ़सीर में इस हदीस को नक़्ल करने के बाद कहते हैं: हमारे नज़दीक यह साबित है कि पैग़म्बरे अकरम (स) ने हज़रत अमीरुल मोमिनीन (अली बिन अबी तालिब (अ)) के हक़ में रोज़े ग़दीर फ़रमाया: ……

(रुहुल मआनी जिल्द 6 पेज 61)

11. इब्ने हजरे असक़लानी

मौसूफ़ कहते हैं: लेकिन हदीसे ..... को तिरमिज़ी और निसाई ने नक़्ल किया है और उसके बहुत से तरीक़े हैं और इब्ने उक़दा ने तमाम तरीक़ों को एक मुसतक़िल किताब में बयान किया है और उसकी बहुत सी सनद सही और हसन है।

(फ़तहुल बारी जिल्द 7 पेज 61)

12. इब्ने मग़ाज़ेली शाफ़ेई

उन्होने अबुल क़ासिम फ़ज़्ल बिन मुहम्मद से हदीसे ग़दीर के बारे में नक़्ल किया है वह कहते हैं: यह हदीस सही है जिस को तक़रीबन 100 असहाब मिन जुमला अशर ए मुबश्शेरा ने पैग़म्बरे अकरम (स) से नक़्ल किया है और यह हदीस इतनी मुसल्लम है कि जिसमें किसी तरह का कोई ऐब नही दिखाई देता, सिर्फ़ सिर्फ़ हज़रत अली (अ) की यह फ़ज़ीलत है, एक ऐसी फ़ज़ीलत जिसमे कोई दूसरा शरीक नही है।

(मनाक़िबे अली बिन अबी तालिब (अ) पेज 26)

13. फ़क़ीहे अबू अब्दुल्लाह बग़दादी (330)

उन्होने ने भी अपनी किताब अल अमाली में हदीसे ग़दीर को सही माना है।

14. अबू हामिद ग़ज़ाली

मौसूफ़ कहते हैं: (इस हदीस की) हुज्जत और दलील वाज़ेह है और सभी मुसलमानों ने इस हदीस की तहरीर पर इजमा किया है कि पैग़म्बरे अकरम (स) ने रोज़े ग़दीरे ख़ुम तमाम हाजियों के दरमियान फ़रमाया: ....... उस मौक़े पर उमर ने कहा, मुबारक हो मुबारक...।

(सिर्रुल आलमीन पेज 21)

15. हाफ़िज़ इब्ने अबिल हदीद मोतज़ेली

मौसूफ़ ने अपनी किताब शरहे नहजुल बलाग़ा में हदीसे ग़दीर को हज़रत अली (अ) के फ़ज़ायल में मशहूर व मारूफ़ हदीस शुमार की है।

(शरहे इब्ने अबिल हदीद जिल्द 9 पेज 166 ख़ुतबा 154)

16. हाफ़िज़ अबू अब्दुल्लाह गंजी शाफ़ेई

वह कहते हैं कि यह हदीस मशहूर और हसन है, इसके तमाम ही रावी सिक़ह हैं और बाज़ सनद को दूसरी सनद के साथ ज़मीमा करने से इस हदीस की सेहत पर दलील बन जाती है।

(किफ़ायतुत तालिब पेज 61)

17. शेख अबुल मकारिम अलाऊद्दीन समनानी (736)

मौसूफ़ हदीसे ग़दीर के ज़ैल में कहते हैं: यह हदीस उन अहादिस में से है जिसकी सेहत पर उलामा का इत्तेफ़ाक़ है लिहाज़ा आपको सैयदुल औवलिया में शुमार किया जाता है। (अल उरवा ले अहलिल ख़ुलवा पेज 422)

18. शमसुद्दीन ज़हबी शाफ़ेई (748)

मौसूफ़ ने हदीसे ग़दीर के मुतअल्लिक़ एक मुसतक़िल किताब लिखी है, चुनाँचे उन्होने इस हदीस की सनद की छान बीन करने के बाद इस हदीस की बहुत सी सनदों को सही क़रार दिया है, नीज़ मुसतदरके हाकिम के ख़ुलासा इस हदीस के सही होने का इक़रार किया है।

तुरुक़े मन कुन्तो मौला तलख़ीसुल मुसतदरक जिल्द 3 पेज 613 हदीस 6272 इसी तरह मौसूफ़ अपनी किताब रिसालतुन फ़ी तुरुक़े हदीसे मन कुन्तो मौला में कहते हैं कि हदीस मन कुन्तो मौला फ़ अलीयुन मौला उन मुतवातिर हदीसों में से है कि जिसको पैग़म्बरे अकरम (स) ने कतई तौर पर बयान किया है और उनमें से बहुत से सही और हसन तरीक़े पाये जाते हैं।

तुरुक़े हदीसे मन कुन्तो मौला पेज 11

उसके बाद मौसूफ़ इस हदीस के तरीक़ो को नक़्ल करते हैं और दसियों तरीक़ो के बारे में सेहत या क़ुव्वत या विसाक़त का इक़रार करते हैं।

19. हाफ़िज़ नूरुद्दीन हैसमी (807)

मौसूफ़ ने इस हदीस को मुख़्तलिफ़ तरीक़ो से बयान किया है और हदीसे ग़दीर की बहुत सी सनदों को रेजाल को रेजाले सही माना है।

मजमउज़ ज़वायद जिल्द 9 पेज 104 से 109

20. शहाबुद्दीन क़सतानी (923)

मौसूफ़ भी हदीसे ग़दीर के ज़ैल में कहते हैं: इस हदीस के बहुत से तरीक़े हैं, इब्ने उक़दा ने उसको तरीक़ों को एक मुसतक़िल किताब में बयान किया है और इस हदीस की बहुत सी सनदें सही और हसन हैं।

अल मवाहिवुल लदुन्निया जिल्द पेज 365

21. शेख़ नूरुद्दीन हरवी हनफ़ी (1014)

मौसूफ़ इस हदीस के बारे में कहते हैं: यह एक ऐसी हदीस है जिसके बारे में ज़रा भी शक व शुब्हा नही किया जा सकता, बल्कि बहुत से हुफ़्फ़ाज़े हदीस ने इस हदीस को मुतावातिर शुमार किया है।

अल मिरक़ात फ़ी शरहिल मिशकात जिल्द 10 पेज 464 हदीस 6091

22. शेख़ अहमद बिन बाकसीर मक्की (1047)

वह इस हदीस के बारे में कहते हैं: इस रिवायत को बज़रा ने सही रेजाल के ज़रिये फ़ित्र बिन ख़लीफ़ा से नक़्ल किया है जो सिक़ह है।

वसीलतुल मआल फ़ी मनाक़िबिल आल पेज 117, 118

23. मीरज़ा मुहम्मद बदख़शी

मौसूफ़ हदीसे ग़दीर के बारे में कहते हैं: यह हदीस सही और मशहूर है और सिवाए मुतअस्सिब और मुन्किर के जिसके क़ौल का कोई ऐतेबार नही होता, किसी ने इसमें शक व शुब्हे नही किया है, क्यो कि हदीसे ग़दीर के बहुत से तरीक़े हैं।

नज़लुल अबरार पेज 54

24. अबुल इरफ़ान सब्बान शाफ़ेई (1206)

मौसूफ़ हदीसे ग़दीर को नक़्ल करने बाद कहते हैं: इस हदीस को 30 असहाबे पैग़म्बर (स) ने रिवायत किया है, जिसके बहुत से तरीक़े सही या हसन हैं।

असआफ़ुर राग़ेबीन दर हाशिय ए नूरूल अबसार पेज 153

25. नासिरूद्दीन अलबानी

मौसूफ़ हदीसे ग़दीर के बारे में कहते हैं: यह हदीस सही है जिसको सहाबा की एक जमाअत ने नक़्ल किया है।

अल सुन्नह इब्ने अबी आसिम बा तहक़ीक़े अलबानी जिल्द 2 पेज 566 अलबानी और हदीसे ग़दीर की सनद

अलबानी ने अपनी मोजम अहादीस सिलसिलतुल अहादिसिस सहीहा जिसमें सहीहुस सनद अहादीस को नक़्ल किया है और उनको सही माना है, इस हदीस (ग़दीर) को भी नक़्ल करने के बाद कहा है: हदीसे ग़दीर ज़ैद बिन अरक़म, साद बिन अबी वक़ास, बुरैदा बिन हसीब, अली बिन अबी तालिब, अबू अय्यूब अंसारी, बरा बिन आज़िब, अब्दुल्लाह बिन अब्बास, अनस बिन मालिक, अबी सईद और अबू हुरैरा से नक़्ल हुई है।

अ. हदीसे जै़द बिन अरक़म, पाँच सनदों के साथ नक़्ल हुई है तो सबकी सब सहीहुस सनद हैं:
अबुल तुफ़ैल ने ज़ैद बिन अरक़म से मैमून अबी अब्दिल्लाह ने ज़ैद बिन अरक़म से अबी सुलेमान मुवज़्ज़िन ने ज़ैद बिन अरक़म से यहया बिन जोअदा ने ज़ैद बिन अरक़म से अतिय ए औफ़ी ने ज़ैद बिन अरकम से

हदीसे साद बिन अबी वक़ास तीन तरीक़ों से बयान हुई है जिनमें सभी सहीहुस सनद हैं:
अब्दुर्रहमान बिन साबित से साद ने अब्दुल वाहिद बिन ऐमन से साद ने ख़ुसैमा अब्दुर्रहमान से साद ने

ब. हदीस बुरैद भी तीन तरीक़ों से बयान हुई है जिनमे सभी सहीहुस सनद हैं:
इब्ने अब्बास ने बुरैद से फ़रजंदे बुरीदा ने बुरैद से ताऊस ने बरीद से

स. हज़रत अली (अ) से हदीसे ग़दीर 9 तरीक़ों से बयान हुई है जिनमें सभी सहीहुस सनद हैं:

1. अम्र बिन सईद ने इमाम अली (अ) से

2. ज़ाज़ान बिन उमर ने इमाम अली (अ) से

3. सईद बिन वहब ने इमाम अली (अ) से

4. ज़ैद बिन यसी ने इमाम अली (अ) से

5. शरीक ने इमाम अली (अ) से

6. अब्दुर्रहमान बिन अबी लैला ने इमाम अली (अ) से

7. अबू मरियम ने इमाम अली (अ) से

8. इमाम अली (अ) के एक सहाबी ने ने इमाम अली (अ) से

9. तलबा बिन मसरफ़ ने इमाम अली (अ) से

ह. हदीसे अबू अय्यूब अँसारी, रियाह बिन हारिस से नक़्ल हुई है जिसकी सनद के सभी रेजाल सिक़ह हैं।

व. हदीसे बरा बिन आज़िब, अदी बिन साबित से नक़्ल हुई है जिसके सभी रेजाल सिक़ह हैं।

ल. हदीसे इब्ने अब्बास, उमर बिन मैमून से रिवायत हुई है जिसकी सनद भी सही है।

ष. हदीसे अनस बिन मालिक, हदीसे अबू सईद और हदीसे अबू हुरैरा, उमैरा बिन साद से नक़्ल हुई है जिनमें सभी सही और मुवस्सक़ सनद मौजूद हैं।

इस हदीस की मुख़्तलिफ़ सनद को नक़्ल करने और उनकी तसहीह के बाद अलबानी साहब कहते हैं: अब जबकि यह मतलब मालूम हो गया तो हम कहते हैं कि इस हदीस की तफ़सील और उसकी सेहत को बयान करने का मक़सद यह है कि शैख़ुश इस्लाम इब्ने तैमिया ने इस हदीस के पहले हिस्से को जईफ़ क़रार दिया है और दूसरे हिस्से को बातिल होने का गुमान किया है लेकिन मेरी नज़र में यह इब्ने तैमीया साहब ने मुबालेग़ा और हदीस को ज़ईफ़ क़रार देने में जल्दी बाज़ी से काम लिया है और इस हदीस के तरीक़ों को जमा करने और उनमें ग़ौर व फ़िक्र करने से पहले ही फ़तवा दे दिया है।

() सिलसिलतुल अहादिसिस सहीहा हदीस 1750

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