Hindi
Thursday 18th of April 2024
0
نفر 0

गुनाहगार वालिदैन

बहुत से घराने ऐसे होते हैं जो अपनी जिहालत व नादानी की वजह से अपने बच्चों की बर्बादी के असबाब ख़ुद फ़राहम करते हैं। कुछ वालिदैन ऐसे भी होते हैं जो अपने बच्चों के शर्माने, झिझकने, हिचकिचाने, कम बोलने, तन्हा रहने, बच्चों के साथ न ख़ेलने वगैरा को फ़ख्र की बात समझते हैं और उनको बहुत बाअदब बच्चों की शक्ल पेश करते हैं, जबकि यह काम उनकी शख़्सियतों की कमज़ोरीयों को और बढ़ा देता हैं। वह इस बात से बेख़बर होते हैं कि शर्माने और झिझकने वाले लोग नार्मल नही होते, क्योंकि शर्माने व घबराने वाले लोग आम इंसानों वाली आदतों से महरूम होते हैं। वह लोग यह सोचते हैं कि हम लोगों से दूर रह कर ख़ुद को एक अज़ीम इन्सान की शक्ल में पहचनवा सकते हैं जबकि हक़ीक़त में उनके इस झूटे चेहरे के पीछे उनका कमज़ोर वुजूद होता है जो उन्हे इस बात पर उकसाता है।

हमें यह बात हमेशा याद रखनी चाहिये कि सही व सालिम बच्चे वह हैं जो अपना दिफ़ाअ करने की सलाहियत रखते हों और अगर उन पर ज़्यादतियाँ की जायें तो वह उनके आगें न झुकें और मन्तक़ी ग़ौरो फ़िक्र के साथ उन ज़्यादतियों का मुक़ाबला करें।

सालिम बच्चे वही हैं जो अपनी गुफ़तगू के ज़रिये अपने एहसास व अफ़कार को बयान कर सकें। यह बात भी याद रखनी चाहिये कि वही लोग समाजी ज़िन्दगी में नाकाम होते हैं जिनकी रूह कमज़ोर और बीमार होती है, इसलिये कि बहादुर व ताकतवर इंसान हर तरह की मुश्किल से जम कर मुक़ाबला करते हैं और कामयाब होते हैं। जंगे जमल में हज़रत अली (अ) ने अपने फ़रज़न्द मुहम्मदे हनफ़िया से इस तरह फ़रमाया:

تزول الجبال و لا تزل

पहाड़ अपनी जगह छोड़ दें मगर तुम अपनी जगह सेमत हिलना।

येह हज़रत अली (अ) की तरफ़ से तरबीयत का एक नमूना है। यानी यह बाप की तरफ़ से अपने बेटे की वह तरबियत है, जिसे हम तमाम मुसलमानों को नमूना ए अमल बनाना चाहिए ताकि अपने बच्चों की तरबीयत भी इसी तरह कर सकें।

तारीख़ में है कि जब तैमूर लंग ने अपने दुश्मनों से शिकस्त खा कर एक वीराने में पनाह ली तो उसने वहाँ यह मंज़र देखा कि एक चयूँटी गेंहू के एक दाने को अपने बिल तक पहुचाने की कोशिश कर रही है, मगर जैसे ही वह उस तक पहुचती है, दाना नीचे जमीन पर गिर जाता है। तैमूर कहता है कि मैने देखा कि 65वी बार वह कीड़ा अपने मक़सद में कामयाब हुआ और उसने उस दाने को घोसलें में पहुचाँया। तैमूर कहता है कि इस चीज़ ने मेरी आँखे खोल दीं और मैं शर्मीदा होकर पुख़्ता इरादे के साथ फिर से उठ खड़ा हुआ और अपने दुश्मनों के ख़िलाफ़ जंग की और आख़िरकार उन्हे हरा कर ही दम लिया।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

ईश्वर को कहां ढूंढे?
युसुफ़ के भाईयो की पश्चाताप 4
क़ुरआन की फेरबदल से सुरक्षा
पश्चाताप तत्काल अनिवार्य है 3
आह, एक लाभदायक पश्चातापी 2
पापी और पश्चाताप की आशा
इमाम जवाद अलैहिस्सलाम का शुभ ...
हदीसो के उजाले मे पश्चाताप 9
ईरानी खुफ़िया एजेंसी ने आतंकी ...
इस्लाम में पड़ोसी के अधिकार

 
user comment