Hindi
Saturday 20th of April 2024
0
نفر 0

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है



क़सीदा

जो शख्स शहे दी का अज़ादार नही है

वो जन्नतो कौसर का भी हक़दार नही है।


जिसने न किया खाके शिफा पर कभी सजदा

सच पूछीये वो दीं का वफादार नही है।


ये जश्ने विला शाहे शहीदां से है मनसूब

एक लम्हा किसी का यहा बेकार नही है।


जो खर्च न करता हो अज़ाऐ शहे दी मे

वो शाहे शहीदां का तरफदार नही है।


आशूर की शब क़िस्मते हुर ने कहा हुर से

अब जाग के शब्बीर सा सरदार नही है।


इज़्ज़त से जियो और मरो शह ने कहा है

ज़िल्लत को जो अपनाऐ वो खुद्दार नही है।


बिदअत जो अज़ाए शहे वाला को बताऐ

सब कुछ है मगर साहिबे किरदार नही है।


हक़ मिदहते मौला का भला कैसे अदा हो

हर शख्स यहाँ मीसमे तम्मार नही है।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

इमाम सज्जाद अलैहिस्सलाम का ...
पाक मन
मुहाफ़िज़े करबला इमाम सज्जाद ...
इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की शहादत
पैगम्बर अकरम (स.) का पैमाने बरादरी
मासूमाऐ क़ुम जनाबे फातेमा बिन्ते ...
इमाम मूसा काज़िम (अ.ह.) के राजनीतिक ...
पैग़म्बरे इस्लाम स.अ. की वफ़ात
हक़ और बातिल के बीच की दूरी ??
बग़दाद में तीन ईरानी तीर्थयात्री ...

 
user comment