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Friday 29th of March 2024
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तिलावत,तदब्बुर ,अमल

क़ुरआने करीम की तिलावत अफ़ज़ल तरीन इबादतों में से एक है और बहुत कम इबादते ऐसी हैं जो इसके पाये को पहुँचती हैं। क्यों कि यह इल्हाम बख़्श तिलावत क़ुरआने करीम में ग़ौर व फ़िक्र का सबब बनती है और ग़ौर व फ़िक्र नेक आमाल का सरचश्मा है। क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम को मुख़डातब क़रार देते हुए फ़रमाता है कि “क़ुम अललैला इल्ला क़लीला*निस्फ़हु अव उनक़ुस मिनहु क़लीला* अव ज़िद अलैहि व रत्तिल अल क़ुरआना तरतीला....” यानी रात को उठो मगर ज़रा कम ,आधी रात या इस से भी कुछ कम,या कुछ ज़्यादा क
तिलावत,तदब्बुर ,अमल

क़ुरआने करीम की तिलावत अफ़ज़ल तरीन इबादतों में से एक है और बहुत कम इबादते ऐसी हैं जो इसके पाये को पहुँचती हैं। क्यों कि यह इल्हाम बख़्श तिलावत क़ुरआने करीम में ग़ौर व फ़िक्र का सबब बनती है और ग़ौर व फ़िक्र नेक आमाल का सरचश्मा है।
क़ुरआने करीम पैग़म्बरे इस्लाम को मुख़डातब क़रार देते हुए फ़रमाता है कि “क़ुम अललैला इल्ला क़लीला*निस्फ़हु अव उनक़ुस मिनहु क़लीला* अव ज़िद अलैहि व रत्तिल अल क़ुरआना तरतीला....” यानी रात को उठो मगर ज़रा कम ,आधी रात या इस से भी कुछ कम,या कुछ ज़्यादा कर दो और क़ुरआन को ठहर ठहर कर ग़ौर के साथ पढ़ो।
और क़ुरआने करीम तमाम मुस्लमानों को ख़िताब करते हुए फ़रमाता है कि “फ़इक़रउ मा तयस्सरा मिन अलक़ुरआनि”

यानी जिस क़द्र मुमकिन हो क़ुरआन पढ़ा करो।
लेकिन उसी तरह जिस तरह कहा गया, क़ुरआन की तिलावत उस के मअना में ग़ौर व फ़िक्र का सबब बने और यह ग़ौर व फ़िक्र क़ुरआन के अहकामात पर अमल पैरा होने का सबब बने। “अफ़ला यतदब्बरूना अलक़ुरआना अम अला क़ुलूबिन अक़फ़ालुहा ” क्या यह लोग क़ुरआन में तदब्बुर नही करते या इन के दिलों पर ताले पड़े हुए हैं।“व लक़द यस्सरना अलक़ुरआना लिज़्ज़िकरि फ़हल मिन मद्दकिरिन” और हम ने क़ुरआन को नसीहत के लिए आसान कर दिया तो क्या कोई नसीहत हासिल करने वाला है।“व हाज़ा किताबुन अनज़लनाहु मुबारकुन फ़इत्तबिउहु” यानी हम ने जो यह किताब नाज़िल की है बड़ी बरकत वाली है, लिहाज़ा इस की पैरवी करो।
इस बिना पर जो लोग सिर्फ़ तिलावत व हिफ़्ज़ पर क़िनाअत करते हैं और क़ुरआन पर “तदब्बुर” “अमल” नही करते अगरचे उन्होंने तीन रुकनों में से एक रुक्न को तो अंजाम दिया लेकिन दो अहम रुक्नों को छोड़ दिया जिस के सबब बहुत बड़ा नुक्सान बर्दाश्त करना पड़ा।


source : alhassanain
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