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हदीसो के उजाले मे पश्चाताप 2

हदीसो के उजाले मे पश्चाताप 2

पुस्तकः पश्चाताप दया की आलिंग्न

लेखकः आयतुल्ला अनसारीयान

 

हमने इसके पूर्व लेख मे इमाम बाकिर के उस कथन का स्पष्टीकरण किया था जिसमे उन्होने आदम और ईश्वर के बीच हुई बात को बयान किया और आदम ने ईश्वर से प्रश्न किया हे पालनहार शैतान को मेरे और मेरी संतान पर प्रबल किया मुझे उसकी अपेक्षा मे क्या निर्धारित किया ईश्वर ने उसका विस्तार से उत्तर दिया जिसके बाद आदम ने कहा यह मेरे लिए पर्याप्त है। इस लेख मे आप को हजरत मुहम्मद की एक हदीस का अध्ययन करने को मिलेगा जिसमे इस बात का वर्णन है कि व्यक्तति द्वारा किस समय की गई पश्चाताप ईश्वर स्वीकार करता है।  

हज़रत इमाम सादिक़ अलैहिस्सलाम ने इस्लाम के पैगम्बर हज़रत मुहम्मद सलल्ललाहो अलैहे वा आलेहिवसल्लम से रिवायत नक़ल की हैः जो व्यक्ति अपनी मृत्यु से एक वर्ष पूर्व पश्चाताप कर ले तो ईश्वर उसकी पश्चाताप स्वीकार कर लेता है, उसके उपरान्त कहाः निसंदेह एक वर्ष अधिक है, जो व्यक्ति अपनी मौत से एक महीना पूर्व पश्चाताप कर ले तो प्रभु उसकी पश्चाताप को स्वीकार कर लेता है, उसके बाद कहाः एक महीना भी अधिक है, जो व्यक्ति एक सप्ताह पूर्व पश्चाताप कर ले उसकी पश्चाताप स्वीकार है, उसके बाद कहाः एक सप्ताह भी अधिक है, यदि किसी व्यक्ति ने अपनी मृत्यु से एक दिन पूर्व पश्चाताप कर लिया तो परमेश्वर उसके पश्चाताप को स्वीकार कर लेता है, उसके कहाः एक दिन भी अधिक है यदि उसने मृत्यु के लक्ष्ण देखने से पूर्व पश्चाताप कर लिया तो परम परमेश्वर उसके पश्चाताप को भी स्वीकार कर लेता है।[1]

 

जारी



[1]  ـ عن أبي عبد الله (عليه السلام) قال : قال رسول الله (صلى الله عليه وآله وسلم) : من تاب قبل موته بسنة قبل الله توبته ثم قال : إن السنة لكثيرة ، من تاب قبل موته بشهر قبل الله توبته . ثم قال : إن الشهر لكثير ، من تاب قبل موته بجمعة قبل الله توبته . ثم قال : إن الجمعة لكثيرة ، من تاب قبل موته بيوم قبل الله توبته . ثم قال : إن اليوم لكثير ، من تاب قبل أن يعاين قبل الله توبته .

अन अबी अबदिल्लाहे (अलैहिस्सलाम) क़ालाः क़ाला रसुलुल्लाहे (सलल्ललाहो अलैहे वाआलेहि वसल्लम) मन ताबा क़बला मौतेहि बेसनातन क़बलल्लाहो तौबतहू सुम्मा क़ालाः इन्नस्सनता लकसीरतुन, मन ताबा क़बला मौतेहि बेशहरिन क़बलल्लाहो तोबतहू। सुम्मा क़ालाः इन्नश्शहरा लकसीर, मन ताबा क़बला मौतेहि बेजुमुअतन क़बलल्लाहो तौबतहू। सुम्मा क़ालाः इन्नल जुमुअता लकसीरतुन, मन ताबा क़बला मौतेहि बेयोमिन क़बलल्लाहो तौबतहू। सुम्मा क़ालाः इन्नल यौमा लकसीर, मन ताबा क़बला अय्योआयेना क़बलल्लाहो तौबतहू। (काफ़ी, भाग 2, पेज 440, ईश्वर ने आदम को क्या प्रदान किया का अध्याय, हदीस 2; वसाएलुश्शिया, भाग 16, पेज 87, अध्याय 93, हदीस 21057; बिहारुल अनवार, भाग 6, पेज 19, अध्याय 20, हदीस 4)

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