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Tuesday 23rd of April 2024
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आशीष की क़द्र करना 2

आशीष की क़द्र करना 2

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

किताब का नाम: तोबा आग़ोश

 

हमने इस से पहले लेख मे बताया कि आस्था रखने वाले व्यक्ति परमात्मा से क्या प्रार्थना करते रहते है और अब इस लेख मे बताऐगे कि किस किस ने परमेश्वर की आशीषो का कहाँ प्रयोग किया और उनका स्थान क्या है।

हाँ, ईश्वरदूतो और इमामो ने परमेश्वर की आशीषो को सही स्थान पर प्रयोग किया है, तथा शुक्र के माध्यम से सम्मान और उस स्थिति मे पहुँच गये है जिसके समझने मे बुद्धि भी असम्क्ष है।

जो लोग अपने जीवन के सभी भागो मे परमेश्वर और उसकेदूत के आज्ञाकारी रहे है दयालु ईश्वर ने पवित्र क़ुरआन मे उनको वचन दिया है कि मृतोस्थान (क़यामत) मे सदैव उनको आशीषो की क़द्र करने वालो के साथ रखेगा।

وَمَن يُطِعِ اللّهَ وَالرَّسُولَ فَأُولئِكَ مَعَ الَّذِينَ أَنْعَمَ اللّهُ عَلَيْهِم مِنَ النَّبِيِّينَ وَالصِّدِّيقِينَ وَالشُّهَدَاءِ وَالصَّالِحِينَ وَحَسُنَ أُولئِكَ رَفِيقاً

वमई युतिइल्लाहा वर्रसूला फ़उलाइका माअल्लज़ीना अनअमल्लाहो अलैहिम मिनन्नबिईना वस्सिद्दिक़ीना वश्शोहादाए वस्सालेहीना व्हसोना उलाइका रफ़ीक़ा[1]

जो कोई भी परमात्मा और उसकेदूत (रसूल) की आज्ञा का पालन करेगा, वह (व्यक्ति) उनके साथ रहेगा जिन पर ईश्वर ने आशीषो को उतारा है, अर्थात ईश्वरदूतो (अंबिया), सत्य बोलने वाले (सिद्दीक़ीन), अच्छे व्यक्ति (सालेहीन) और शहीद होंगें। और ये (अंबिया, सिद्दीक़ीन, सालेहीन और शहीद) उनके (आज्ञा कारी के) लिए कितने अच्छे मित्र है।



[1] सुरए नेसा 4, आयत 69

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