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Thursday 18th of April 2024
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आशीषो को असंख्य होना

आशीषो को असंख्य होना

लेखक: आयतुल्लाह हुसैन अनसारियान

                                                                               

किताब का नाम: तोबा आग़ोशे रहमत

 

हम ध्यान पूवर्क क़ुरआन के एक छंद (आयत) से यह अर्थ समझते है कि परमेश्वर द्वरा निर्मित आशिषे इतनी अधिक है, किसी गणना करने वाले व्यक्ति के पास चाहे जितनी अदभुद शक्ति ही क्यो नहो, इनकी (आशीषो) गणना करने से अक्षम (शक्ति नही रखता) है।

وَلَوْ أَنَّمَا فِي الْأَرْضِ مِن شَجَرَة أَقْلاَمٌ وَالْبَحْرُ يَمُدُّهُ مِن بَعْدِهِ سَبْعَةُ أَبْحُر مَّا نَفِذَتْ كَلِمَاتُ اللَّهِ إِنَّ اللَّهَ عَزِيرٌ حَكِيمٌ

वलौअन्नमा फ़िलअरज़ि मिन शजारतिन अक़लामुव वल बहरो यमुद्दोहू मिन बादिहि सबअतो अबहोरिम्मा नफ़िज़त कलिमातुल्लाहि इन्नल्लाहा अज़ीज़ुन हकीम[1]  

यदि पृथवी के सभी वृक्ष पेन बन जाए और समुद्र के पानी मे सात समुद्रो का पानी बढ़कर स्याही (इंक) हो जाए, परमेश्वर की आशीषो की गणना समाप्त होने वाली नही है, अल्लाह सर्वशक्तिमान और हकीम है।

अपनी बनाई हुई वस्तुओ मे बुद्धिमानता से विचार करो, ताकि तुम पर यह सच्चाई स्पष्ट हो जाए परमेश्वर की आशीषे गणनात्मक नही है।

 


[1] सुरए लुक़मान 31, आयत 27

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