বাঙ্গালী
Friday 29th of March 2024
0
نفر 0

बिदअत क्या है?

बिदअत क्या है?

बिदअत क्या है?
अपनी तरफ़ से शरीयत में किसी ऐसी चीज़ को शामिल करना जिसके बारे में साहिबाने शरीयत की तरफ़ से कोई नस न हो, बिदअत कहलाता है।

अफ़सोस है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स.) के बाद दीन में बिदअतें फैलनी शुरू हो गईं और मुआविया बिन अबु सुफ़यान के समय में तो बिदअतें अपनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थीं।

मुआविया के ज़रिये फैलने वाली बिदअतें और दीन मुखालिफ़ वह काम जिनको वह खुले आम अंजाम देता था इस तरह हैं।

1) शराब पीना। (अल ग़दीर जिल्द न. 10 पेज न. 179)

2) रेशमीन कपड़े पहनना। (अल ग़दीर जिल्द न. 10 पेज न. 216)

3) सोने चाँदी के बरतनों का इस्तेमाल करना। (अल ग़दीर जिल्द न. 10 पेज न. 216)

4) गाना सुनना। ( शरहे इब्ने अबिल हदीद जिल्द न. 16 पेज न. 161)

5) इस्लामी क़ानूनों के खिलाफ़ फैसले सुनाना। (अल ग़दीर जिल्द न. 10 पेज न. 196)

6) चोर को सज़ा न देना। (अल ग़दीर जिल्द न. 10 पेज न. 214)

7) ज़िना (अनैतिक सम्बन्ध) द्वारा पैदा होने वाले बच्चे को सही मानना। (शरहे इब्ने अबिल हदीद जिल्द न.16 पेज न.187)

8) हज़रत अली अलैहिस्सलाम के साथ जंग करना, जिसमें पचहत्तर हज़ार लोगों की जानें गयीं। (मरूजुज़्जहब जिल्द न. 2 पेज न.3)

9) हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शियों के क़त्ले आम के लिए फौजों को भेजना। (अल ग़दीर जिल्द न.11 पेज न. 16,17,18)

10) मालिके अशतर को क़त्ल करना। (मरूजुज़्जहब जिल्द न. 2 पेज न.409)

11) हुज्र बिन अदि व उनके साथियों को क़त्ल करना। (अल ग़दीर जिल्द न.11 पेज न. 52)

12) उमर बिन अलहम्क़ को क़त्ल करना।(अल ग़दीर जिल्द न.11पेज न. 41)

13) मिस्र पर हमला करना और हज़रत अली अलैहिस्सलाम के नुमाइंदे मुहम्मद बिन अबु बकर को क़त्ल करना। (मरूजुज़्जहब पेज न. 218)

14) हज़रत अली अलैहिस्सलाम के शियों का क़त्ले आम करना। (अल ग़दीर जिल्द न.11पेज न. 28)

15) हज़रत अली अलैहिस्सलाम की मुख़ालेफ़त में जाली हदीसें लिखवाना। (अल ग़दीर जिल्द न.11पेज न. 28)

16) उसमान की तारीफ़ में जाली हदीसें घड़वाना।(अल ग़दीर जिल्द न.11पेज न. 28)

17) नमाज़े जुमा के ख़ुत्बों में हज़रत अली अलैहिस्सलाम पर लअन कराना। (अल ग़दीर जिल्द न.10पेज न. 257)

18) हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम को जहर खिलवा कर शहीद कराना। ( मरूजुज़्ज़हब जिल्द न. 2 पेज न. 427)

19) ग़ैर क़ानूनी तौर पर यज़ीद को अपना जानशीन (उत्तराधिकारी) बनाना। (कामिल इब्ने असीर जिल्द न. 3 पेज न. 503 से 511 तक)

20) जुमे की नमाज़ बुध के दिन पढ़ा देना। (( मरूजुज़्ज़हब जिल्द न. 3 पेज न.32)

21) इस्लामी ख़िलाफ़त को मौरूसी (वंशानुगत) बना देना।

0
0% (نفر 0)
 
نظر شما در مورد این مطلب ؟
 
امتیاز شما به این مطلب ؟
اشتراک گذاری در شبکه های اجتماعی:

latest article

আল-কুরআনের মু’জিযা: একটি ...
সালাতে তারাবী না তাহাজ্জুদ ?
অর্থসহ মাহে রমজানের ৩০ রোজার দোয়া
ইসলাম ধর্ম, চিত্ত বিনোদন ও আনন্দ
জান্নাতুল বাকিতে ওয়াহাবি ...
কোরআনে কারিম তেলাওয়াতের আদব
মহানবীর ওফাত দিবস এবং ইমাম হাসান ...
পবিত্র কোরআনের আলোকে কিয়ামত
ইমাম হাসান (আ.)-এর জন্মদিন
যুগের ইমাম সংক্রান্ত হাদীসের ওপর ...

 
user comment